लाल ध्वजा लहराये रे, मैया तोरी ऊंची पहड़िया: भजन (Lal Dhwaja Lahraye Re Maiya Teri Unchi Pahadiya)

लाल ध्वजा लहराये रे, मैया तोरी ऊंची पहड़िया: भजन (Lal Dhwaja Lahraye Re Maiya Teri Unchi Pahadiya)

लाल ध्वजा लहराये रे, मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥लोंग इलायची के बीड़ा लगाए, चम्पा चमेली के हार बनाये, लाल अनार चड़ाए रे, मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥ लाल गुलाल से लाल भये है, लाल तुम्हारे निहाल भये है, मैया के रंग रंग आये रे, मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥ ‘पदम्’ सुमर मैया तोरे जस गाये, … Read more

Kumbhkaran Unknown Story : कुंभकर्ण के पूर्वजन्म का रहस्य, जानेंगे तो दंग रह जाएंगे

Kumbhkaran Unknown Story : कुंभकर्ण के पूर्वजन्म का रहस्य, जानेंगे तो दंग रह जाएंगे

कुंभकर्ण के भोजन से देवता भी घबराए रामायण का एक प्रमुख पात्र है कुंभकर्ण। रावण का यह भाई इतना विशाल और भयंकर था कि एक दिन में कई गांवों का भोजन अकेले खा जाता था। भूख शांत ना होने पर यह प्रजा को भी खा जाया करता था। ब्रह्माजी भी कुंभकर्ण की इस शक्ति से … Read more

मईया जी से होगा मिलन धीरे धीरें: भजन (Maiya Ji Se Hoga Milan Dheere Dheere)

मईया जी से होगा मिलन धीरे धीरें: भजन (Maiya Ji Se Hoga Milan Dheere Dheere)

लग जाएगी लगन धीरे धीरे, मैया जी से होगा मिलन धीरे धीरे, मईया जी से होगा मिलन धीरे धीरें ॥करले भरोसा मैया पे प्यारे, छोड़ दे झूठे जग के सहारे, जुड़ जाएगा ये मन धीरे धीरे, जुड़ जाएगा ये मन धीरे धीरे, मईया जी से होगा मिलन धीरे धीरें ॥ ज्ञानू सरिका करले समर्पण, चरणों … Read more

गांधीजी के अनुसार डॉक्टर का कर्तव्य केवल दवाई देना नहीं, यह भी

गांधीजी के अनुसार डॉक्टर का कर्तव्य केवल दवाई देना नहीं, यह भी

संकलन : राधा नाचीज बीमार होने पर सेवाग्राम में अधिकतर लोग गांधीजी के पास प्राकृतिक चिकित्सा कराने आते थे। गांधीजी की प्राकृतिक चिकित्सा से अनेक मरीज स्वस्थ भी हुए थे। एक दिन एक वृद्ध महिला उनके पास आई और बोली, ‘बापूजी, मेरे शरीर में बहुत खारिश होती है। खारिश कर-करके बदन में घाव हो गए … Read more

बुहा खोल के माये, जरा तक ते ले: भजन (Buha Khol Ke Maaye Zara Tak Te Le)

बुहा खोल के माये, जरा तक ते ले: भजन (Buha Khol Ke Maaye Zara Tak Te Le)

बुहा खोल के माये, जरा तक ते ले, तेरे मंदिरा दे वेडे दाती, कौन आया है, मान बच्चिया दा अज मायें, रख ते ले, तेथो मंगियां मुरादा पान, कौन आया है ॥खाके ठोकरा जहान दिया, दुःख सह के, जामा तन दा भवानी, लीरो लीर हो गया, हाल कोई नइयो पुछदा, निमानिया दा, तेरे नाम दा … Read more

कौन था बड़ा दानी कर्ण या अर्जुन, इस कहानी को पढ़कर खुद समझ जाएंगे

कौन था बड़ा दानी कर्ण या अर्जुन, इस कहानी को पढ़कर खुद समझ जाएंगे

एक बार श्रीकृष्ण से अर्जुन ने पूछा, ‘दान तो मैं भी बहुत करता हूं, परंतु सभी लोग कर्ण को ही सबसे बड़ा दानी क्यों कहते हैं?’ यह प्रश्न सुन श्रीकृष्ण मुस्कुराए। उन्होंने पास में ही स्थित दो पहाड़ियों को सोने का बना दिया। इसके बाद वह अर्जुन से बोले, ‘हे अर्जुन! इन दोनों सोने की … Read more

मोरी मैया महान: भजन (Mori Maiya Mahan)

मोरी मैया महान: भजन (Mori Maiya Mahan)

मोरी मैया महान, मोरी मईया महान, मैहर की शारदा भवानी ॥संतन की मैया रखवाली, मन बांछित फल देने वाली, करे सबका कल्याण, करे सबका कल्याण, मैहर की शारदा भवानी ॥ माता के दर जो भी जावे, खाली हाथ ना वापस आवे, झोली भरती माँ आन, झोली भरती माँ आन, मैहर की शारदा भवानी ॥ मूरख … Read more

दूसरों का कष्‍ट समझाने के लिए राजा आदित्‍यदेव की अनोखी पहल, आप भी जानें रोचक किस्‍सा

दूसरों का कष्‍ट समझाने के लिए राजा आदित्‍यदेव की अनोखी पहल, आप भी जानें रोचक किस्‍सा

ललित नगरी के राजा आदित्यदेव ने प्रजा की परीक्षा लेने के लिए सुबह ही मार्ग में बड़ा पत्थर रखवा दिया। इस मार्ग से जो भी राहगीर निकलता, उसे बड़ी परेशानी होती, परंतु कोई भी उस पत्थर को हटाने का प्रयास नहीं कर रहा था। राज्य के मंत्री व सैनिक तथा राज्य के कारिंदे भी वहां … Read more

तेरे द्वार पे आने वालो ने, क्या अजब नज़ारा देखा है: भजन (Tere Dawar Pe Aane Walon Ne Kya Ajab Nazara Dekha Hai)

तेरे द्वार पे आने वालो ने, क्या अजब नज़ारा देखा है: भजन (Tere Dawar Pe Aane Walon Ne Kya Ajab Nazara Dekha Hai)

तेरे द्वार पे आने वालो ने, क्या अजब नज़ारा देखा है, हर और निराले जलवे हैं, जहाँ भवन तुम्हारा देखा है, तेरे द्वार पे आने वालों ने, क्या अजब नज़ारा देखा है ॥पत्थर को चीर चट्टानों से, क्या सुन्दर गुफा बनाई है, चरणों से निकली गंगधारा, ये कैसी लीला रचाई है, हर डाल डाल हर … Read more

एक पैसे का हिसाब हुआ गड़बड़ तो रात भर जगकर करता रहा जोड़-घटाव

एक पैसे का हिसाब हुआ गड़बड़ तो रात भर जगकर करता रहा जोड़-घटाव

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत एकनाथ के गुरु स्वामी जनार्दनजी ने एक दिन उनको आश्रम के हिसाब-किताब की जिम्मेदारी दे दी। गुरुजी के आदेश को गुरु सेवा समझ एकनाथ निष्ठापूर्वक आश्रम के नित्य-प्रतिदिन के काम में लगे रहते थे। उनकी कोशिश रहती थी कि आश्रम के सभी कार्य समयानुसार हो सकें और दान से मिला धन … Read more