आंखें ना होने के बाद भी यह इंसान बन गया विश्व का महान संगीतकार

जोस फेलिसियानो जन्मजात नेत्रहीन थे। जैसे-जैसे वे बड़े होते गए उनके मन में दुनिया को जानने की इच्छा बढ़ती गई। एक दिन वह अपने मित्रों के साथ बातें कर रहे थे। उन्होंने अपने साथियों से कहा, ‘मेरा बहुत मन करता है कि लोग मुझे जानें और पहचानें।’ इस पर उनका एक साथी व्यंग्य करते हुए बोला, ‘जोस, तुम तो नेत्रहीन हो। तुम जैसा नेत्रहीन प्रसिद्ध कैसे हो सकता है, तुम्हारी दुनिया में तो कोई रंग ही नहीं है, लोग तुम्हें क्यों जानना चाहेंगे?’ इस पर सबने हंसते हुए हामी भरी कि कम से कम इस जन्म में तो जोस के लिए यह बात संभव नहीं है।

जोस विचलित नहीं हुए। उन्होंने कहा, ‘अगर तुम्हारी सोच यह है कि मैं नेत्रहीन हूं तो कुछ नहीं कर सकता, तो गलत है। क्या हुआ जो मेरी आंखों में रंग देखने की शक्ति नहीं है, मैं अपनी मेहनत से अपने जीवन में रंग भर सकता हूं।’ जोस को गिटार बजाना बहुत पसंद था। उन्होंने अब दिन-रात अपने गिटार पर अभ्यास करना शुरू कर दिया। गिटार बजाते-बजाते जब वह थक जाते तो उन्हें अपने साथी की व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी याद आ जाती। फिर उनके हाथ गिटार पर चलने लगते। कई बार तो गिटार का अभ्यास करते-करते उनके हाथों से खून बहने लगता लेकिन तब भी वह लगाातार अभ्यास करते।

आखिर उनकी मेहनत रंग लाई और उनके संगीत को पहचान मिलनी आरंभ हुई। धीरे-धीरे वह प्रसिद्ध होते गए और एक दिन ऐसा आया कि वह पूरे विश्व में महान संगीतकार के रूप में पहचाने जाने लगे। जोस ने संगीत के माध्यम से अपने जीवन में रंग भर लिए। अब तो उन्हें हर कोई जानने भी लगा था। उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प से इस बात को साबित कर दिया कि यदि व्यक्ति ठान ले तो जीवन की हर बाधा को तोड़कर कामयाबी के शिखर पर पहुंच सकता है।– संकलन : रेनू सैनी