एंड्रयू कार्नेगी जिनका बचपन गरीबी में बीता, फिर बने बड़ी कंपनी के मालिक

एंड्रयू कार्नेगी का जन्म स्कॉटलैंड में हुआ था। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण 12 वर्ष की उम्र में वह माता-पिता के साथ पेंसिलवेनिया (अमेरिका) आ गए। यहां वह पिता के साथ ही कपड़ा मिल में मजदूरी करने लगे। कुछ समय बाद उन्होंने रेलवे में सुपरिंटेंडेंट की नौकरी हासिल कर ली। धीरे-धीरे अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ते हुए उन्होंने कोलंबिया में स्टील फैक्ट्री स्थापित की और कुछ ही दिनों में वह अमेरिका में स्टील बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी के मालिक बन गए। उनकी कंपनी में 43 करोड़पति काम करते थे। कार्नेगी बड़े समाजसेवी भी थे। उन्होंने अमेरिका में तीन हजार लाइब्रेरी बनवाई। वे बड़े मिलनसार और व्यवहारकुशल थे। अपने सभी कर्मचारियों से सम्मानजनक तरीके से पेश आते थे।

एक बार कार्नेगी से मिलने उनके ऑफिस में एक परिचित व्यक्ति आए तो बातों ही बातों में उन्होंने पूछा कि आप अपने कर्मचारियों से किस प्रकार पेश आते हैं? सवाल सुनकर कार्नेगी ने जवाब दिया- लोगों से पेश आना सोने की खुदाई करने जैसा है। यह सुनकर वह व्यक्ति असमंजस में पड़ गया और बोला, मैं कुछ समझा नहीं। तब कार्नेगी ने समझाया कि जब सोने की खुदाई की जाती है तो एक तोला सोना निकालने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसके लिए बहुत सी मिट्टी खोदी जाती है और इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता कि कितनी मिट्टी निकाली जा चुकी है। सभी का ध्यान केवल इस बात पर होता है कि सोना कब निकलेगा।

इसी प्रकार हर व्यक्ति में कमियां होती हैं लेकिन कमियों पर ध्यान देने के बजाय उसके अच्छे कार्यों पर ध्यान देना चाहिए और यह देखना चाहिए कि वह अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कितने बेहतर तरीके से कार्य कर रहा है। इस उत्तर से परिचित को कार्नेगी की सफलता का राज मालूम हो गया।

प्रस्तुति : रमेश जैन