इस बार के महाकुंभ ने कई वेब, ग्राफिक और प्रोडक्ट डिजाइनरों को आकर्षित किया है। टाइटन में वॉच और अक्सेसरीज डिविजन में डिजाइन और टेक्नॉलजी के जीएम बी वी नागराज ने बताया, ‘इस तरह की ट्रिप डिजाइनरों के लिए ऑक्सीजन की तरह है।’ उन्होंने कहा, ‘मोतियों पर बेस्ड घड़ियों के कलेक्शन के लिए हमने अपने डिजाइनरों को मोती की कहानी समझने के लिए देश के कई शहरों में भेजा।’ इस तरह के अभियानों से डिजाइनर को किसी चीज का निजी अनुभव हासिल होता है। लिहाजा, प्रॉडक्ट निखर कर सामने आता है।
टाइटन के पूर्व डिजाइनर और बैंगलुरु की कंपनी स्टूडियो एबीडी के फाउंडर अभिजीत बंसोड़ भी फरवरी में महाकुंभ मेले में जाने की तैयारी में हैं। बंसोड़ वहां जाकर कहानियां इकट्ठा करेंगे, जिनका इस्तेमाल बाद में प्रॉडक्ट की तैयारी के लिए किया जा सकता है। वह इंडियन थीम पर आधारित प्रॉडक्ट्स डिवेलप करते हैं। ऐसे में उनके लिए कुंभ का दौरा जरूरी है। वह कहते हैं, ‘पहला अनुभव मदद करता है। घड़ियों की रामबाग कलेक्शन के लिए मैं रामबाग पैलेस में ठहरा था।’
अडोबी में यूजर एक्सपीरियंस डिजाइनर प्रभात महापात्रा ने बताया, ‘साउंड, रंग, लोग और लाखों लोगों के सामान इस्तेमाल करने के तौर-तरीकों का इस्तेमाल भविष्य के कंज्यूमर फ्रेंडली सॉफ्टवेयर में किया जा सकता है।’ यूजर एक्सपीरियंस का मतलब होता है कि कोई आदमी सिस्टम के साथ इंटरफेस के वक्त कैसा महसूस करता है। यह सिस्टम वेबसाइट, मोबाइल ऐप्स या फिर डेस्कटॉप सॉफ्टवेयर हो सकता है। महापात्रा को इंडियन थीम पर आधारित कलर पैलेट के लिए महाकुंभ से प्रेरणा मिलने की उम्मीद है।
प्रॉडक्ट डिजाइनिंग में स्पेशलाइजेशन करने वाले आईआईटी बॉम्बे के एक ग्रेजुएट ने बताया, ‘एक साधु की पोटली में दुनिया भर के सामान से यह प्रेरणा मिल सकती है कि पोर्टेबल और मॉड्यूलर फर्निचर को किस तरह से और बेहतर बनाया जा सकता है।’ कुंभ और पुष्कर जैसे मेले डिजाइनरों को यह नजरिया पेश करते हैं कि लोगों और उनकी लाइफस्टाइल से जुड़ी क्या जरूरतें हैं। नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के ग्राफिफ एंड आईटी हेड रूपेश व्यास कहते हैं, ‘रंगों, पैटर्न, इंटरफेस और सजावट को समझने के लिए यह बेहतरीन प्रयोगशाला हो सकती है।’