सब जानते थे कि बड़ी मुश्किल से उन्होंने बर्फीली नदी को पार किया है। यदि अब लौटकर गए तो किसी न किसी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। भरे मन से सबने उस कुत्ते के बच्चे को उसके हाल पर छोड़कर आगे बढ़ने का निर्णय लिया। लेकिन अब्राहम लिंकन ठहर गए। वह बोले, ‘आप लोग आगे बढ़िए, मैं एक नन्हे, असहाय जीव को इस तरह तड़प कर मरने के लिए नहीं छोड़ सकता।’ उन्होंने अपने जूते-मोजे उतारे और परिवार के लोग कुछ कहते, उससे पहले ही उस बर्फीली नदी में उतर गए।
वह कांपते-कांपते डॉगी के नजदीक पहुंचे। उसे जैसे ही गोद में उठाया, वह उनसे लिपट गया। अब्राहम धीरे-धीरे उसे लेकर दोबारा उस बर्फीली नदी से पार आ गए। जब उन्होंने कुत्ते को नीचे उतारा, वह उनके पैरों से लिपट गया, मानो जीवन बचाने के लिए उनका धन्यवाद कर रहा हो। जीवों के प्रति दया और कृतज्ञता का भाव अब्राहम लिंकन में जीवन भर रहा। संकलन: रेनू सैनी