❀ गणेश चतुर्थी के दिन:
गणेश विसर्जन तकनीकी रूप से गणेश चतुर्थी के दिन ही किया जा सकता है, हालांकि यह कम आम है। पूजा-अर्चना के बाद शाम को विसर्जन किया जाएगा। यह विधि आमतौर पर अस्थायी या छोटी मूर्तियों के लिए अपनाई जाती है।
❀ चतुर्थी के डेढ़ दिन बाद:
यह विसर्जन के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है, खासकर उन जगहों पर जहां गणेश मूर्ति थोड़े समय के लिए स्थापित की जाती है। भक्त चतुर्थी की दोपहर को गणेश पूजा करते हैं और फिर अगले दोपहर को मूर्ति का विसर्जन करते हैं, जिससे यह डेढ़ दिन की अवधि बन जाती है।
❀ तीसरा, पाँचवाँ या सातवाँ दिन:
गणेश विसर्जन चतुर्थी के तीसरे, पांचवें या सातवें दिन भी हो सकता है। ये समय उन भक्तों के लिए एक लचीली अवधि प्रदान करता है जिनके पास विसर्जन के लिए अलग-अलग कार्यक्रम या प्राथमिकताएं हो सकती हैं।
❀ अनंत चतुर्दशी:
गणेश विसर्जन के लिए सबसे व्यापक रूप से मनाया जाने वाला दिन अनंत चतुर्दशी है, जो चतुर्थी के ग्यारहवें दिन पड़ता है। यह दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भगवान विष्णु की पूजा के साथ मेल खाता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन विसर्जन करने से सबसे बड़ा आध्यात्मिक लाभ होता है।
गणेश विसर्जन अनुष्ठान और जुलूस
❀ पूजा और आरती:
विसर्जन से पहले, भक्त गणेश प्रतिमा पर फूल, प्रसाद और नारियल चढ़ाकर अंतिम पूजा और आरती करते हैं। यह श्रद्धा और विदाई दोनों का क्षण है।’
❀ जुलूस:
मूर्ति को एक भव्य जुलूस के रूप में निकटतम नदी, तालाब या समुद्र तक ले जाया जाता है। जुलूस आमतौर पर जीवंत होता है, जिसमें लोग भक्ति गीत गाते हैं, ढोल बजाते हैं और “गणपति बप्पा मोरया” और “गणेश महाराज की जय” जैसे नारे लगाते हैं।
❀ विसर्जन समारोह:
मुंबई जैसी जगहों पर, गणेश विसर्जन गणपति मंडलों द्वारा प्रबंधित एक भव्य कार्यक्रम है। विसर्जन एक प्रमुख सार्वजनिक उत्सव है, जो अक्सर रात तक चलता है और सुबह होने तक जारी रहता है। पारंपरिक ड्रम और अन्य संगीत वाद्ययंत्र इस आयोजन को भव्यता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
❀ गृह विसर्जन:
छोटी मूर्तियों के लिए या ऐसे मामलों में जहां यह अधिक व्यावहारिक है, विसर्जन घर पर बाल्टी या टब में किया जा सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अधिक अंतरंग और व्यक्तिगत समारोह पसंद करते हैं।
क्षेत्रीय विविधताएँ
❀ तेलुगु भाषी क्षेत्र:
जिन क्षेत्रों में तेलुगु बोली जाती है, वहां विसर्जन को “विनायक निमंजनम” के नाम से जाना जाता है।
❀ मुंबई:
शहर के उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं, जिसमें विस्तृत जुलूस और उत्सव होते हैं जो बड़ी भीड़ खींचते हैं।
गणेश विसर्जन केवल विसर्जन की रस्म के बारे में नहीं है; यह एक सांस्कृतिक और सामुदायिक कार्यक्रम भी है जो लोगों को जश्न मनाने और भगवान गणेश को विदाई देने के लिए एक साथ लाता है, जो अगले साल उनकी वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
गणेशोत्सव क्यों कब, कहाँ और कैसे?
❀ श्री गणेश चतुर्थी
❀ अनंत चतुर्दशी / गणपति विसर्जन
गणेशोत्सव आरती:
❀ जय गणेश जय गणेश
❀ शेंदुर लाल चढ़ायो
❀ श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई: जय देव जय देव
श्री गणेश चालीसा:
❀ गणेश चालीसा
गणेशोत्सव मेसेज:
❀ गणेशोत्सव शुभकामना मेसेज
गणेश मंत्र:
❀ वक्रतुण्ड महाकाय! श्री गणेश मंत्र
❀ गणेश शुभ लाभ मंत्र
❀ गणेश अंग पूजा मंत्र
❀ गजाननं भूत गणादि सेवितं
❀ गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि।
❀ श्री गणेशपञ्चरत्नम् – मुदाकरात्तमोदकं
❀ नामावली: श्री गणेश अष्टोत्तर नामावलि
❀ ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र
❀ हरिद्रा गणेश कवचम्
❀ संकटनाशन गणेश स्तोत्र – प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम
गणेशोत्सव भजन:
❀ घर में पधारो गजानन जी
❀ गणपति आज पधारो, श्री रामजी की धुन में
❀ मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे
❀ गाइये गणपति जगवंदन
❀ गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा
श्री गणेश कथा:
❀ अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा
प्रेरक कहानी:
❀ दद्दा की डेढ़ टिकट
❀ गणेश विनायक जी की कथा
❀ तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना
श्री गणेश मंदिर:
❀ पुणे शहर के प्रसिद्ध मंदिर
❀ दिल्ली के प्रसिद्ध श्री गणेश मंदिर
❀ श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, मुंबई
❀ श्री कसबा गणपति मंदिर, पुणे
❀ दगडूशेठ गणपति मंदिर, पुणे
❀ सारसबाग गणपती मंदिर, पुणे
❀ बंगाली बाबा श्री गणेश मंदिर, जयपुर
❀ श्री सिद्धी गणेश मंदिर, गुरुग्राम
❀ गणेश टेकरी, नाथद्वारा
भोग प्रसाद:
❀ पारंपरिक मोदक बनाने की विधि
❀ बेसन के लड्डू बनाने की विधि
❀ मावा के मोदक बनाने की विधि
❀ केसर मोदक बनाने की विधि
ब्लॉग:
❀ संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी में क्या अंतर है?
❀ बटगणेश मंदिर, पुरी जगन्नाथ मंदिर में गणेश चतुर्थी