वास्तु विज्ञान के अनुसार अगर घर में रखी गणेश जी की मूर्ति खंडित हो जाए या मूर्ति बेरंग होने लगे तो उसे नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें और उसकी जगह नई मूर्ति को स्थापित करें। खंडित और बेरंग हो चुकी मूर्ति से सकारात्मक उर्जा का संचार नहीं होता है और लाभ नही मिलता है।
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घर में एक ही जगह पर गणेश जी की दो मूर्ति एक साथ नहीं रखें। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे उर्जा का आपस में टकराव होता है जो अशुभ फल देता है। अगर एक से अधिक गणेश जी की मूर्ति है तो दोनों को अलग-अलग स्थानों पर रखें।
गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को कभी ऐसे न रखें जिसमें वह घर के बाहर देख रहे हों। गणेश जी की मुख हमेश उस दिशा में होना चाहिए जिससे वह घर की ओर देखते नजर आएं। अगर मूर्ति बाहर की ओर देखते हुए लगाएं तो ठीक इनके पीछे एक मूर्ति लगा दें ताकि गणेश जी का पीठ अंदर की तरफ नहीं दिखे। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि गणेश जी के पृष्ठ भाग पर दुख और दरिद्रता का वास माना गया है।
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घर में गणेश जी की बांयीं ओर सूंड वाली मूर्ति रखना अधिक मंगलकारी माना गया है क्योंकि इनकी पूजा से जल्दी फल की प्राप्ति होती है। दायीं ओर सूंड वाले गणपति देर से प्रसन्न होते हैं।
गणेश जी को विराजमान करने के लिए ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व कोण शुभ माना गया है लेकिन भूलकर भी इन्हें दक्षिण और दक्षिण पश्चिम कोण यानी नैऋत्य में नहीं रखें इससे हानि होती है।