त्रयम्बकेश्वर मंदिर देखने लाखों लोग हर साल आते हैं। दरअसल, यह पुण्य कमाने की चाहत के साथ-साथ घुमक्कड़ी के शौकीन लोगों को इसलिए भी लुभाता है, क्योंकि इसके आसपास स्थित पहाड़ और यहां बहने वाली नदियों का कॉम्बिनेशन लोगों का मन मोह लेते हैं:
नासिक से 38 किलोमीटर दूर है त्रयम्बकेश्वर मंदिर। यहां आप कभी भी चले जाइए भक्तों का हुजूम देखने को मिलता है। इसे देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख माना जाता है, क्योंकि यहां त्रिदेव के दर्शन हो जाते हैं।
गोदावारी नदी के उद्गम स्थल और ब्रह्मगिरी की खूबसूरत पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में नागर वास्तु कला में बने इस मंदिर को देखना अपने आप एक उपलब्धि है। काले पत्थर से तैयार यह मंदिर अपनी प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला के कारण भी सैलानियों को आकर्षित करता है।
यह मंदिर 270 वर्गफुट में फैला हुआ है। यहां स्वयंभू रूप में अंगूठे के आकार जितने बड़े तीन लिंग हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना गया है।
क्या देखें:
कुषवर्ता तीर्थ: ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में स्नान कर लेने से आपके सभी कष्ट और पाप दूर होते हैं। इस स्थान का नाम कुषवर्ता इसलिए पड़ा, क्योंकि शिव से दूर हुई निराश व क्रोधित गंगा नदी यहां रुकती ही नहीं थी। इस कारण गौतम ऋषि गोहत्या के पाप से मुक्त होने के लिए स्नान नहीं कर पा रहे थे। एक दिन परेशान आकर उन्होंने मंत्रित घास, जिसे संस्कृत में कुष कहते हैं, से घेरकर गंगा को यहां रुकने के लिए विवश कर दिया था। इसके चारों कोनों पर केदारेश्वर महादेव, साक्षी विनायक, कुषेशवर महादेव और गोदावरी मंदिर हैं। यहीं पास में इंद्रेश्वर महादेव का भी खूबसूरत मंदिर है।
ब्रह्मगिरी: मुख्य रूप से गंगा का मंदिर त्रयम्बकेशवर मंदिर से सटे ब्रह्मगिरी की पहाडि़यों पर ही स्थित है। इन पर्वतों पर नदी तीन दिशाओं में बह रही है। पूर्व की ओर बहती नदी को गोदावरी, दक्षिण की ओर बहने वाली को वैतरना और जो पश्चिम की ओर बहती है, उसे गंगा कहा जाता है। त्रयम्बकेशवर मंदिर के सामने ही अहिल्या नदी का संगम गोदावरी से होता है। इसमें स्नान करना नि:संतान लोगों के लिए काफी शुभ माना जाता है। समुद्रतल से 4248 फीट की ऊंचाई पर होने की वजह से यहां का वातावरण हमेशा ही काफी सुहावना बना रहता है।
अन्य दर्शनीय स्थल: यहां गौतम ऋषि की गुफा है, जिसमें 108 शिवलिंग बने हुए हैं। वहीं आगे जाकर नाथ संप्रदाय के सबसे पहले नाथ गोरखनाथ का भी मंदिर है। राम-लक्ष्मण तीर्थ भी यहीं हैं जहां अपने वनवास के दौरान कुछ दिन रुककर उन्होंने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध किया था। यहां राम जी का काफी विशाल मंदिर भी बना हुआ है। यहीं गंगासागर नाम का बड़ा सा कुंड भी बना हुआ है।
धार्मिक उत्सव: यहां जब बारह साल में एक बार बृहस्पति ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करता है, तो सिंहस्ता कुंभ मेला मनाया जाता है। फरवरी में पूर्णिमा के दिनों में गोदावरी की पूजा करने देशभर से लोग लाखों की संख्या में आते हैं। यहां नवंबर में गंगा-गोदावरी पर्व भी बारह दिनों तक मनाया जाता है। जनवरी में निवृत्ति नाथ उत्सव तीन दिन खूब हर्षोउल्लास से मनाते हैं। नवंबर में ही त्रिपुरी पूर्णिमा के दिन त्रयम्बकेशवर महादेव की रथयात्रा निकाली जाती है। मार्च में महाशिवरात्रि के अवसर पर भी हर बारह साल में कुंभ मेला लगता है।
आस-पास अन्य दर्शनीय स्थल:
शिरडी-शिगनापुर: नासिक से 119 कि.मी. की दूरी पर ही शिरडी स्थित है, जहां साईं बाबा का फेमस मंदिर है। शिरडी के ही नजदीक शनिदेव का प्रसिद्ध मंदिर शनि शिगनापुर भी है। यहां शिला रूप में शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव के आशीर्वाद से यहां कोई बुराई नहीं प्रवेश पा सकती है, इसलिए यहां किसी घर में दरवाजे बंद नहीं होते।
अंजनेरी पर्वत: प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं जहां मॉनसून के समय पर्वत से गिरते झरने का नजारा बस उस माहौल में खो देने का मजबूर कर देता है। इसके अलावा गंगापुर बांध और दूधसागर के नाम से मशहूर झरने भी देखने लायक हैं। इसी के पास नंदूर-माधमेश्वर बर्ड सेनचुरी है, जहां दुनियाभर से आए पक्षियों को देखने का लुत्फ उठाने के साथ ही आपको प्रकृति के नजदीक होने का भी एहसास होता है।
कैसे जाएं:
बस से: त्रयम्बकेशवर के लिए महाराष्ट्र स्टेट ट्रांसपोर्टेशन की ओर से काफी बस सेवाएं उपलब्ध हैं। आप मुंबई, पुणे, सतारा, कोल्हापुर, अहमदाबाद और इंदौर से बस से सफर कर सकते हैं।
रेल से: देश के लगभग हर कोने से नासिक रोड स्टेशन और देवलाली स्टेशन तक रेल से पहुंचा जा सकता है। यहां से त्रयम्बकेशवर कुछ ही दूर है।
हवाई यात्रा: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इस समय मुंबई है। जहां से त्रयम्बकेशवर तक जाने के लिए प्राइवेट टैक्सी मिल जाती है। हैं।
कहां ठहरें: अगर आपका प्लान काफी पहले बन गया है तो मंदिर के आसपास बने कुछ होटलों में रह सकते हैं। मुक्तिधाम में आकर आपको कई धर्मशालाएं भी वैसे रहने को मिल जाएंगी, जहां खाने-पीने का भी अच्छा इंतजाम है।