जानें, क्‍या है मृगशिरा नक्षत्र और इस नक्षत्र में जन्‍में लोगों का कैसा होता है व्‍यवहार?

सनातन धर्म में नक्षत्रों का बहुत महत्‍व है। इससे हम जहां वर्तमान और भविष्‍य की गणना करते हैं, वहीं इनके चलते हमारा जीवन भी प्रभावित होता है। ज्‍योतिषशास्‍त्र के मुताबिक नक्षत्रों से हमारे आचार-व्‍यवहार को तो पता चलता ही है साथ ही जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव और हम कहां-किस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे यह भी निर्धारित होता है। तो शास्‍त्रों ने नक्षत्रों की संख्‍या 27 बताई है। इसमें से ही एक है ‘मृगशिरा नक्षत्र।’ जिसकी उत्‍पत्ति की बड़ी ही रोचक कथा है। साथ ही इसका व्‍यक्ति के जीवन पर कुछ अलग ही प्रभाव पड़ता है। तो आइए जानते हैं कि क्‍या है यह ‘मृगशिरा नक्षत्र,’ कैसे हुई इसकी उत्‍पत्ति और इस नक्षत्र में जन्‍में जातकों का कैसा होता है आचार-व्‍यवहार?

मृगरूपी ब्रह्मा जी जब बन गए नक्षत्र
वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार नक्षत्रों की कुल संख्‍या 27 है। इसमें मृगशिरा नक्षत्र पांचवें स्‍थान पर आता है। इसकी उत्‍पत्ति के बारे में कथा मिलती है कि एक बार प्रजापिता ब्रह्मा का मोह उनकी ही पुत्री पर जाग्रत हो गया। इससे भोलेनाथ को अत्‍यंत क्रोध हुआ। उन्‍होंने ब्रह्म्‍देव पर बाण चला दिया। शिव के इस रौद्र रूप को देखकर प्रजापिता ब्रह्मा काफी भयभीत होकर आकाश दिशा की ओर भागे। जब उन्‍हें कोई रास्‍ता नहीं सूझा तो वह आकाश में मृगशिरा नक्षत्र के रूप में स्‍थापित हो गए। चूंकि जब वह शिव के क्रोध से बचने के लिए उस समय उन्‍होंने हिरन यानी कि मृग का रूप लिया हुआ था इस कारण जब वह नक्षत्र बनें तो उनका नाम मृगशिरा नक्षत्र पड़ा। कथा मिलती है कि शिवजी के बाण ने उन्‍हें आज तक माफ नहीं किया है आज भी वह बाण आर्द्रा नक्षत्र के रूप में मृगशिरा रूपी ब्रह्मा जी के पीछे पड़ा है।

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जानें, क्‍या है मृगशिरा नक्षत्र और इस नक्षत्र में जन्‍में लोगों का कैसा होता है व्‍यवहार?

मंगल है मृगशिरा नक्षत्र का स्‍वामी
हर नक्षत्र का कोई न कोई ग्रह स्‍वामी होता ही है, जिसका प्रभाव उस नक्षत्र में जन्‍में जातक पर पड़ता है। मृगशिरा नक्षत्र का स्‍वामी मंगल ग्रह को माना गया है। यही वजह है कि इस नक्षत्र में जन्‍में लोगों पर मंगल का सीधा प्रभाव देखने को मिलता है।

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जानें, क्‍या है मृगशिरा नक्षत्र और इस नक्षत्र में जन्‍में लोगों का कैसा होता है व्‍यवहार?

ऐसे होते हैं मृगशिरा में जन्‍में जातक
ज्‍योतिषशास्‍त्र के मुताबिक इस नक्षत्र में जन्‍में लोगों का प्रेम पर अटूट विश्‍वास होता है। इसके अलावा यह स्‍थाई काम पर अत्‍यधिक भरोसा करते हैं। यही वजह है कि इस नक्षत्र में जन्‍में जातक जो भी काम अपने हाथ में लेते हैं, उसे पूरी मेहनत और लगन से पूरा करते हैं। ये आकर्षक व्‍यक्तित्‍व और रूप के स्‍वामी होते हैं। ग्रह स्‍वामी मंगल होने के चलते ये सदा ही ऊर्जा से भरे रहते हैं। बहुत ही साफ दिल और सभी को प्रेम करने वाले होते हैं लेकिन कोई छल करे तो फिर यह उसे माफ नहीं करते। व्‍यक्तिगत जीवन में ये अच्‍छे मित्र साबित होते हैं। इसके अलावा प्रेम में अूटट विश्‍वास होने के चलते इनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

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