महाभारत काल में तक्षशिला शहर अब पाकिस्तान में है
आपने महाभारत में तक्षशिला शहर का जिक्र भी जरूर सुना होगा। महाभारत काल में तक्षशिला गंधार प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। तक्षशिला ही वे जगह है, जहां पर पांडवों के वंशज जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया था, जिसमें जलकर हजारों सांप भष्म हो गए थे। तक्षशिला को वर्तमान समय में तक्सिला के नाम से जाना जाता है। यह शहर पहले पंजाब, भारत में ही था लेकिन 1947 में हुए भारत के विभाजन के बाद यह जगह अब पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में है। यहां पर दुनिया की पहली यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी।
महाभारत काल का व्याग्रपत आज है बागपत
महाभारत काल में वर्तमान के बागपत को व्याग्रपत नाम से जाना जाता था। कुछ साल पहले बागपत से 4 हजार वर्ष पुराना रथ मिला था। बागपत उसी हस्तिनापुर के ऐतिहासिक साम्राज्य का हिस्सा है। माना जाता है कि महाभारत की लड़ाई केवल कुरुक्षेत्र तक सीमित नहीं थी बल्कि आसपास की कई जगहों पर भी योद्धाओं के बीच युद्ध हुआ था। बागपत भी उन जगहों में शामिल है।
दिल्ली को कहा जाता था इंद्रप्रस्थ
महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ को पहले खांडवप्रस्थ नाम से जाना जाता था। खांडवप्रस्थ में पहले जंगल थे। धृतराष्ट्र ने पांडवों को द्रौपदी से विवाह उपरांत यह जगह दी थी लेकिन यह जगह रहने योग्य नहीं थी क्योंकि यहां पर दूर-दूर तक घना जंगल था लेकिन पांडवों ने हार नहीं मानी और श्रीकृष्ण के कहने पर खांडवप्रस्थ से जंगल हटाकर इसे एक शहर के रूप में बसाया। तब इसे इंद्रप्रस्थ नाम से जाना गया। महाभारत काल का इंद्रप्रस्थ भारत की राजधानी दिल्ली है।
महाभारत काल का पांचाल अब बन गया रुहेलखंड
द्रौपदी पांचाल देश के राजा दुपद्र की बेटी थी। पांचाल देश की राजकुमारी द्रौपदी के घर को कलियुग में किसी और नाम से जाना जाता है। रपांचाल पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक है। वर्तमान में पांचाल को उत्तरप्रदेश के क्षेत्राधिकार में माना जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बरेली, बदायूं और फर्रूख़ाबाद जि़लों को मिलाकर पांचाल बना था। माना जाता है कि वर्तमान में इन शहरों के बीच रुहेलखंड आता है, जहां पर पांचाल देश की राजधानी और राजा दुपद्र का महल हुआ करता था।
महाभारत का विराट अब है जयपुर
जब पांडवों को 13 वर्षों का वनवास मिला था, तो इन 13 वर्षों में से एक वर्ष अज्ञातवास का था। इसका अर्थ यह था कि पांडवों को एक वर्ष तक अपनी पहचान छुपाकर कहीं रहना था। पांडवों ने अज्ञातवास के लिए अरावली की पहाडियों के मध्य में बसे शहर विराट नगर को चुना। महाभारत काल के विराट नगर वर्तमान में राजस्थान में है। इसे जयपुर और आसपास बसे शहरों को उस समय का विराट नगर का क्षेत्राधिकार माना जाता है।