नवरात्रि में देवी की पूजा करते समय रखें वास्तु का ध्यान

नवरात्रि में देवी पूजन करते समय अगर वास्तु का ध्यान रखा जाए तो पूजा के शुभ फल का प्रतिशत कई गुना बढ़ जाता है। देवी पूजन में एक ओर जहां श्रद्धा का महत्व है तो दूसरी ओर ठीक ढंग से पूजन करना भी अनिवार्य है क्योंकि सही ढंग से पूजन न करने पर आपके द्वारा की गई पूजा का फल क्षीण हो जाता है इसलिए आराधना के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए, इससे सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी। वास्तु के अनुसार करें
देवी पूजन – वास्तु के नियमों को ध्यान में रखकर माता की आराधना की जाए तो मनोवांछित फल अति शीघ्र प्राप्त होते हैं।

  • देवी-देवताओं का वास वास्तु के अनुसार घर के उत्तर-पूर्व कोने, जिसे वास्तु शास्त्र में ईशान कोण कहा जाता है, में होता है। अतः इसी दिशा में मां की प्रतिमा तथा घट स्थापना करना शुभ फलदायी होता है।
  • नवरात्रि में भक्त मां भगवती की प्रतिमा के समक्ष अखण्ड ज्योति जलाते है, अखण्ड ज्योति के दीपक को वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा स्थल के दक्षिण-पूर्व, अग्निकोण में स्थापित करना चाहिए।
  • पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा करना वास्तुशास्त्र के अनुसार शुभ फलदायी माना गया है। देवी पूजन पूर्व अथवा उत्तर दिशा में मुख करके करना चाहिए।
  • पूजा स्थल को हमेशा साफ-सुथरा और स्वच्छ रखें, अनावश्यक वस्तुओं का संग्रह पूजास्थल में न करें, इससे मानसिक अशांति बढ़ती है।
  • पूजा स्थल के बराबर शौचालय अथवा बाथरूम नहीं होना चाहिए।
  • पूजा स्थल इस प्रकार का होना चाहिए जिसमें घर के सभी सदस्य एक साथ आसानी से बैठ सकें।
  • रसोई घर में पूजाघर नहीं होना चाहिए।
  • पूजा घर में ज्यादा वजनदार वस्तुओं को रखना अनुचित माना गया है, पूजा घर को स्टोर रूम नहीं बनाना चाहिए न ही स्टोर रूम में मूर्तियां रखकर पूजा करनी चाहिए।
  • पूजाघर में झाड़ू-पौंछा इत्यादि सामान भी नहीं रखने चाहिए। समय-समय पर नमक का पानी मिला पौंछा लगाना चाहिए।
  • मां दुर्गा की मूर्ति अथवा तस्वीर को साफ-सुथरा, स्वच्छ रखना चाहिए। नित्य गूगुल की धूप और लाल गुड़हल के फूलों की माला मां को अर्पण करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
  • मां को चढ़ाने वाले फूल ताजे और सुगंधित होने चाहिए, कटे-फटे या किसी भी प्रकार से दूशित पुश्प् देवी को नहीं चड़ाने चाहिए।
  • मां दुर्गा की पूजा गीले अथवा फटे-पुराने वस्त्र पहनकर नहीं करनी चाहिए, सूखे, साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर ही देवी आराधना करें।
  • नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ अथवा अनुश्ठान के बीच में पुरूषों को बाल तथा नाखून काटना एवं दाड़ी बनवाने से परहेज करना चाहिए।

भगवती दुर्गा समस्त देवों के तेज से निकली हैं, इसलिए अपने भक्तों को शुभ फल देने में देर नहीं करतीं। अतः इन बातों को ध्यान में रखकर आप मां भगवती का पूजन करेंगे तो निश्चय ही भगवती कृपा से सभी मार्ग प्रशस्त होंगें।