पाक में है पहला शक्तिपीठ ‘हिंगलाज भवानी’

दिनेश सिंह।।
यमुनापार, आईपी एक्सटेंशन,
मधु विहार में देवी मां हिंगलाज भवानी का एक मंदिर है। करीब 13-14 साल पहले बनाए गए इस मंदिर में अब काली माता की पूजा-अर्चना करने वाले लोगों की तादाद बढ़ी है। पहले के लोगों को छोड़ किसी को पता ही नहीं था कि शक्तिपीठों में सबसे अहम और पहला शक्तिपीठ मां हिंगलाज भवानी का ही है, लेकिन यह पहला और अहम शक्तिपीठ हिंदुस्तान में न होकर पाकिस्तान में है, इसलिए कम लोग ही इसे जानते हैं। पाकिस्तान के हिंदुओं और वहां से 1947 में आए हिंदू शरणाथिर्यों की कुल देवी हैं हिंगलाज भवानी।

नवरात्रों में इस हिंगलाज मंदिर में अच्छी-खासी भीड़ रहती है। शाम होते ही मां काली की पूजा अर्चना करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आने लगते हैं। मंदिर की पुजारिन राधा शर्मा ने बताया कि नवरात्रों में यहां पर अच्छी खासी सजावट की जाती है। कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर के बाद यह दूसरा मंदिर है, जिसमें दक्षिणमुखी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है।

कैसे बना पहला शक्तिपीठ: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत हिंगोल नदी किनारे अघोर पर्वत पर मां हिंगलाज भवानी मंदिर है। यह इलाका पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर है। मान्यता है कि जब सतयुग में देवी सती ने अपना शरीर अग्निकुंड में समर्पित कर दिया था, तो भगवान शिव ने सती के जले शरीर को लेकर तांडव किया और फिर भगवान विष्णु ने उन्हें शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के जले शरीर को टुकड़ों में विभाजित कर दिया था। कहा जाता है कि सती के शरीर का पहला टुकड़ा सिर का एक हिस्सा यहीं अघोर पर्वत पर गिरा था। हिंगलाज को हिंगुला भी कहा जाता है और कोटारी शक्तिपीठ के तौर पर भी जाना जाता है। बाकी शरीर के टुकड़े हिंदुस्तान के विभिन्न हिस्सों में गिरे, जो बाद में शक्तिपीठ कहलाए।

51 शक्तिपीठों में हिंगलाज पहला शक्तिपीठ माना जाता है। शास्त्रों में इस शक्तिपीठ को आग्नेय तीर्थ कहा गया है।

कहा जाता है कि इस हिंगलाज मंदिर को इंसानों ने नहीं बनाया। पहाड़ी गुफा में देवी मस्तिष्क रूप में विराजमान हैं। यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से भी बेहद अच्छा है। यहां मंदिर से कुछ ही दूरी पर दुनिया का सबसे बड़ा कीचड़ वाला ज्वालामुखी भी है। चैत्र नवरात्र में यहां एक महीने तक काफी बड़ा मेला लगता है। मंदिर की खास बात यह भी है कि पहले कभी इस मंदिर के पुजारी मुस्लिम हुआ करते थे। कुछ अभी भी हैं।

उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि जैसे पाकिस्तान से अजमेर शरीफ दरगाह पर लोग बेरोकटोक आ जा सकते हैं, उसी तरह हिंगलाज माता के दर्शनों के लिए हिंदुस्तान से श्रद्धालु भी वहां आसानी से आ-जा सकें। अगर हिंदुस्तान से किसी को हिंगलाज माता के दर्शनों के लिए वीजा मिल भी जाता है, तो उसे वहां पर किसी तरह की कोई सुविधा और सुरक्षा मुहैया नहीं करवाई जाती।