बिहार के इस इस अनूठे वन में स्थित है मनोकामना शिवलिंग, मुख्यमंत्री तक यहां दर्शन से लाभ पा चुके हैं

बिहार के बक्सर जिला के कोरान सराय पंचायत के कचईनिया गांव का इतिहास जितना पुराना है उतना ही भव्य भी है। और इसकी भव्यता में और भी वृद्धि कर रहा है यहां स्थित करीब 250 साल पुराना एक बरगद का पेड़। यह बरगद का वृक्ष इतना विशाल और विस्तृत है कि इसकी जड़ें वृक्ष से लटककर जमीन धंस गई हैं। इस बरगद की भव्यता और महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि साल 1954 में संत विनोवा भावे भी इस वृक्ष की छांव में समय बिता चुके हैं।

विनोवा वन का मनोकामना शिवलिंग

यह बरगद का वृक्ष सैंकड़ों एकड़ में फैले विनोवा वन का हिस्सा है। इसी वन में जंगल के बीचो-बीच स्थित उत्तर गुप्त कालीन शिवलिंग भी है। प्राचीन मूर्तियों का भग्नावेश और मंदिर के पास स्थित विशाल बरगद का वृक्ष यहां लोगों की आस्था का केंद्र है। विशाल पेड़ ने आस-पास के दो बिगहा इलाके को अपनी छाया से ढंक हुआ है। इस जगह की ऐसी मान्यता है कि, यहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास वैभव और सुशील मोदी भी आकर शिवलिंग पर माथा टेक चुके हैं।

शिवलिंग की पूजा करता था बाणासुर
यहां के स्थानीय निवाली धीरज पांडेय बताते हैं कि, सैकड़ों एकड़ में फैले इस विनोबा वन में मनोकामना लिंग स्थित है। मान्यता है कि, यहां दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं की सारी इच्छाएं 12 दिन और 12 महीने में पूरी हो जाती है। प्राचीन मान्यता है कि,. विनोबा वन के शिवलिंग पर बाणासुर नाम का राक्षस जल चढ़ाता था। वो बक्सर गंगा घाट से जल लेकर तीन कदमों में तीन शिवलिंग पर जल चढ़ाता था। पहले जल ब्रह्मपुर के शिवलिंग पर, दूसरा जल विनोबा वन में स्थित शिवलिंग पर और तीसरा जल रोहतास जिले के गुप्ता धाम पहाड़ी पर चढ़ाता था। धीरे-धीरे मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती गई। हर वर्ष यहां शिव पार्वती के विवाह का आयोजन होता है। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।

बिहार का 250 साल पुराना अनूठा बरगद, मुख्यमंत्री भी ले चुके हैं दर्शन से लाभ

1954 में संत विनोबा भावे प्रवासी बनकर मंदिर प्रांगण में महीनों तक रहे। इसी दरम्यान संत विनोवा भावे विशाल बरगद के नीचे बैठा करते थे। इसी दौरान विनोवाजी ने भूदान में डुमरांव महाराजा से कुल 42.91 एकड़ भूमि अर्जित की। भूदान तथा भू-हदबंदी अधिनियम के तहत कुल 122 भूमिहीन परिवारों के बीच संत विनोबा भावे ने जमीन को बांट दिया। उसके बाद भी भगवान शंकर के नाम से यहां काफी जमीन है। जिसे स्थानीय युवा डेवलप करने में जुटे हैं। यहां स्थित बरगद का प्राचीन वृक्ष अपने आप में काफी अनूठा और विशालकाय है। जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। यहां भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री और तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री की ओर से वन को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की बात कही गई थी। स्थानीय लोग विनोबा वन को बिहार पर्यटन सर्किट में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं।

बिहार का शापित नदी, पानी छूने से भी लगता है पाप