इसके लिए प्रतिवर्ष की तरह ओडिशा से कारीगर आए हैं, जो रथ को रथयात्रा के दो दिन पहले पूरी तरह से तैयार कर देंगे। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी पं. महेन्द्र शर्मा ने बताया कि स्नान पूर्णिमा के दिन भगवान को स्नान कराने की परंपरा निभाई गई थी और वर्तमान में भगवान बीमार अवस्था में हैं, जिसके चलते मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं। फिलहाल भगवान के निविग्रह की पूजा-अर्चना हो रही है और भगवान को बीमारी से ठीक करने के लिए उन्हें रथयात्रा के तीन दिन पहले से काढ़ा पिलाने की रस्म निभाई जाएगी।
ओडिशा के पवित्र धाम पुरी में इस बार 29 जून को रथयात्रा निकाली जा रही है, इसलिए राजधानी में भी इसी दिन रथयात्रा निकलेगी। इससे पूर्व 28 जून को नैन उत्सव के साथ महोत्सव की शुरुआत होगी और 29 जून को विशेष पूजा-अर्चना के बाद रथयात्रा को जगन्नाथ मंदिर के महंत रामसुंदरदास के सानिध्य में राजधानी का भ्रमण कराया जाएगा और पुरानी बस्ती मुख्य मार्ग पर भगवान नौ दिन के लिए विराजित किए जाएंगे।
पुजारी शर्मा के अनुसार भगवान की बीमारी की अवस्था में पिलाई जाने वाली औषधियों में आमी हल्दी, सोंठ, कालीमिर्च, जायफल, अजवाइन, करायत, पीपल को बावली के जल में मिति कर काढ़ा तैयार किया जाएगा और भगवान को भोग लगाकर वह प्रसाद के तौर पर भक्तों को वितरित किया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद का सेवन करने से व्यक्ति सालभर निरोगी रहता है। पुरानी बस्ती के अलावा अवंति विहार, सदरबाजार, आमापारा, शास्त्री बाजार बांस टॉल, लिली चौक व गुढ़ियारी स्थित जगन्नाथ मंदिरों से भी रथयात्रा निकलकर राजधानी के मुख्य मार्गों का भ्रमण करेगी। इन मंदिरों में रथयात्रा की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। बहरहाल रथयात्रा को लेकर राजधानी सहित सूबे के विभिन्न जगहों पर जोर-शोर से तैयारी आरम्भ हो गई है।