महाभारत काल में पांडवों ने एक रात में बनाया था एकविरा देवी मंदिर, माता ने खुश होकर दिया यह वरदान

हम सभी लोगों को अच्छे और बुरे दोनों तरह के दिन देखने पड़ते हैं। मनुष्यों के अलावा कोई अन्य जीव भी इससे अछूता नहीं है। जैसे, महाभारत काल में भी पांडवों ने धर्म के रास्ते पर चलते हुए भी बुरे दिनों का सामना किया था। इन बुरे दिनों से निकलने के लिए पांडवों ने काफी संघर्ष किया था। साथ ही पांडवों ने श्रीकृष्ण के अलावा कई देवी-देवताओं से भी सहायता मांगी थी। पांडवों ने संघर्ष से मुक्ति और माता की कृपा पाने के लिए देवी एकविरा की कठोर तपस्या भी की थी। देवी आई एकविरा की कृपा से पांडवों के अज्ञातवास के कठोर दिन आसान हो गए थे। आइए, जानते हैं अकीरा देवी मंदिर की खास बातें।

लोनावला में स्थित है आई एकविरा देवी मंदिर

महाराष्ट्र के मुंबई से 100 किलोमीटर दूरी पर है लोनावला। प्राकृतिक रूप से लोनावला बहुत खूबसूरत जगह है। लोनावला में कार्ला गुफाएं हैं। जहां पर एकविरा देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है। पौराणिक मान्यता है कि यह मंदिर कार्ला की गुफाओं से भी प्राचीन हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि एकविरा देवी की जिन गुफाओं के ठीक बगल में पूजा की जाती है, उसे कभी बौद्ध धर्म का केंद्र माना जाता था।

एक रात में पांडवों ने बना दिया एकविरा देवी मंदिर

माता एकविरा की चुनौती स्वीकार करते हुए पांडवों ने पूरी रात जागकर लोनावला पहाड़ियों के बीच एकविरा देवी के मंदिर का निर्माण किया। जब देवी के मंदिर का निर्माण हो गया, तो पांडवों ने हाथ जोड़कर देवी एकविरा का आह्वान किया और उन्हें कहा मंदिर में दर्शन देने के लिए कहा। पांडवों की पुकार सुनकर देवी एकविरा ने एक बार फिर से पांडवों को दर्शन दिए और उन्हें वरदान दिया कि अज्ञातवास के दौरान उन्हें कोई भी पहचान नहीं पाएगा और उनका अज्ञातवास सरलता से पूरा हो जाएगा।

एकविरा देवी ने पांडवों को दिए थे दर्शन

महाभारत की कहानी के अनुसार जब पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां पहुंचे थे, तो पांडव भाई दुखी होकर अपने साथ हुए घोर अन्याय के बारे में बातें कर रहे थे। तब पहाड़ियों के बीच मौजूद एकविरा माता ने पांडवों की बात सुनी, तो उनका मन भी पीड़ा से भर गया। तब एकविरा देवी ने पांडवों को कष्ट से निकालने में सहायता की थी। एकविरा देवी ने कहा “हे पांडव पुत्रों! मैं तुम्हारी नियति नहीं बदल सकती क्योंकि तुम सभी ने एक महान कार्य को पूरा करने के लिए जन्म लिया है। तुम्हारे कारण ही एक युग का परिवर्तन होगा, लेकिन मैं संघर्ष भरे इन दिनों से बाहर निकालने में तुम्हारी सहायता जरूर कर सकती हूं।”

एकविरा देवी ने पांडवों की ली परीक्षा

देवी एकविरा की बात सुनकर पांडव उनके सामने नतमस्तक हो गए। एकविरा देवी ने तब पांडवों की परीक्षा लेने के लिए कहा कि अगर वे अपने अज्ञातवास को सरल बनाना चाहते हैं, तो उन्हें एकविरा देवी के मंदिर का निर्माण इसी जगह करना होगा लेकिन इस मंदिर का निर्माण कल सुबह होने से पहले यानी 1 रात में होना चाहिए। एकविरा देवी की बातें सुनकर पांडव समझ गए कि माता उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति देखना चाहती हैं।

एकविरा देवी मंदिर कैसे पहुंचे

एकविरा देवी को कई नामों से जाना जाता है। कई जगह उन्हें रेणुका देवी भी कहा जाता है। आप अगर नवरात्रि में देवी एकविरा मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो एकविरा आई मंदिर पुणे से 60 किमी और मुंबई से 100 किमी दूर हैं। वहीं, लोनावला से इस मंदिर की दूरी 10 किलो है। आप अपनी सहूलियत के अनुसार इन शहरों में पहुंचकर यहां से देवी एकविरा मंदिर जा सकते हैं।