सुरक्षित गोस्वामी
राजा ने मदाल्सा से शादी की। शादी से पहले मदाल्सा की शर्त थी कि हर संतान को पैदा होते ही गुरुकुल भेजेंगे। उनके तीन पुत्र हुए और तीनों को गुरुकुल भेज दिया। कुछ समय बाद मदाल्सा के चौथा पुत्र हुआ। इस पर राजा मदाल्सा से बोला: यदि हमने सभी संतानों को गुरुकुल भेज दिया, तो अपना राज्य किस संतान के पास छोड़कर जाएंगे। इसलिए बेहतर है कि इसे गुरुकुल न भेजा जाए। राजा की बात सुनकर मदाल्सा मान गईं। कुछ समय बीतने के बाद राजा और मदाल्सा राजकुमार को राजा बनाकर जंगल चले गए।
जंगल जाते समय मदाल्सा ने बेटे को ताबीज देकर कहा: बेटा, ताबीज में जो लिखा है, उसे तकलीफ में ही पढ़ना। जंगल में रहने के कुछ समय बाद मदाल्सा गुरुकुल गईं, जहां तीनों संन्यासी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वहां उन्होंने तीनों बेटों से कहा: मेरे प्यारे पुत्रों, आप तीनों अपने चौथे भाई के पास जाओ और उससे महल में अपना हक मांगों। देखते हैं, उसका वैराग्य पक्का है या नहीं। मां की बात सुनने के बाद तीनों महल में आए और अपने चौथे भाई से महल में अपना-अपना हक मांगने लगे। चौथा बेटा, जो राजा बन गया था, वह उलझन में पड़ गया। उसके दिमाग में सवाल था कि वह अपने तीनों भाईयों को किस प्रकार हक दे।
कोई समाधान दिखाई न देने पर अचानक उसे मां का दिया ताबीज याद आया। उसने ताबीज खोला। उसमें लिखा था- तीनों तेरे भाई हैं। यह सब गुजर जाएगा। संसार मिथ्या और ब्रह्म सत्य है। यह पढ़कर राजा को राहत मिली। साथ ही अपने तीनों भाईयों से मिले आत्मज्ञान से वह निर्मोही हो गया। इसके बाद राजा ने यह ज्ञान अपने परिवार और प्रजा को दिया।
एक बार निर्मोही राजा का राजकुमार बेटा घूमते हुए वन में पहुंचा। वहां उससे एक साधु ने पूछा: तुम कौन हो? इस पर राजकुमार ने कहा: मैं निर्मोही राजा का निर्मोही बेटा हूं। राजकुमार की यह बात सुनकर साधू बोला: राजा और निर्मोही? साधू राजा की परीक्षा लेने महल आया। उसने राजा से कहा: तुम्हारा बेटा सांप काटने से मर गया है। यह सुनकर राजा बोला: जो आया है, वह जाएगा। इसमें दुख कैसा? रानी बोली: डाल पर दो पक्षी हैं। एक इधर उड़ जाता है और दूसरा उधर। इसमें शोक कैसा?
राजकुमार की पत्नी बोली: दो कुत्ते थे। एक को लाठी मारी, दूसरे को रोटी दी। अगले जन्म में दोनों गर्भ में आए। एक ने मां को सुख दिया और दूसरे ने दुःख। हिसाब पूरा करके चले गए। मैं क्यों सोचूं? दासी बोली: नदी में दो लकड़ी बहाते हैं, तो एक इधर और दूसरी उधर बह जाती है। साधू सबका निश्चय सुनकर, वापस अपनी झोपड़ी में आया और राजकुमार से कहा: तुम्हारा महल जल गया। यह सुन राजकुमार बोला: क्या! मेरा महल जल गया? अब मैं तुम्हारे पास रहूंगा। साधू जान गया कि सब आत्मा के निश्चय में टिके हैं।