मिट्टी का जानवर बनाकर काटा तो लोगों ने पूछा ऐसा सवाल…

एथेंस को देवताओं का शहर माना जाता है। वहां अनेक देव मंदिर हैं। एक बार एक देव मंदिर में एक उत्सव था, जिसमें शामिल होने के लिए एथेंस के महान दार्शनिक प्लेटो को भी न्योता आया। प्लेटो उत्सव में सम्मलित होने के लिए जब मंदिर पहुचे तो वहां का दृश्य देखकर द्रवित हो उठे। उन्होंने देखा कि जो भी व्यक्ति वहां आता, अपने साथ एक पशु लाता और देव प्रतिमा के सामने खड़े होकर उसकी बलि चढ़ाता। पशु पर जब प्रहार किया जाता तो वह कुछ देर तक तड़पता और मर जाता।

यह सब देखकर वहां लोग प्रसन्न हो रहे थे और गीत गाते हुए नृत्य कर रहे थे। प्लेटो ने ऐसा उत्सव पहली बार देखा था। वे दुखी होकर वहां से जाने लगे तो एक व्यक्ति ने उन्हें रोका और कहा, ‘मान्यवर कहां जा रहे हो! आज तो आपको भी देवता को प्रसन्न करने के लिए बलि चढ़ानी होगी। तभी देवता प्रसन्न होंगे।’ प्लेटो ने वहीं थोड़ी मिट्टी इकट्ठा की और पानी लेकर उसे गीला किया। फिर उस गीली मिट्टी से उन्होंने एक जानवर बनाया और देवता के सामने रखकर तलवार से उसकी बलि चढ़ा दी।

वहां उपस्थित धर्माधिकारियों को उनका वह व्यवहार अच्छा नहीं लगा। उन्होंने प्लेटो पर कटाक्ष किया, ‘क्या देवता के प्रति आपका यही सम्मान है? क्या यही आपका बलिदान है?’ प्लेटो ने कहा, ‘हां। यही बलिदान है। मिट्टी के बने देवता के लिए मिट्टी के बने जानवर की बलि ही उपयुक्त है। मिट्टी का बना देवता खा-पी नहीं सकता। इसलिए निर्जीव भेंट ही उसके लिए उपयुक्त है।’

धर्माधिकारियों ने उनकी इस बात का प्रतिवाद किया और पूछा कि क्या वे सब लोग मूर्ख थे, जिन्होंने यह प्रथा चलाई थी? इस पर प्लेटो ने मुस्कराते हुए कहा, ‘जिन्होंने भी यह प्रथा चलाई, उन्होंने पशु नहीं, करुणा की हत्या का प्रचलन शुरू किया था।’

संकलन : मनीषा देवी