मौनी अमावस्या स्नान का महत्व

संगम।। मौनी अमावस्या के स्नान को कुंभ के सभी स्नानों में से सबसे महत्वपूर्ण स्नान माना गया है। माना जाता है कि इस दिन के गृह योग से गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है और इस दिन स्नान करने का विशेष पुण्य मिलता है। इस दिन गंगा स्नान से न सिर्फ पाप धुलते हैं बल्कि आरोग्य भी बढ़ता है।

माघ मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि शनिवार दोपहर 2:32 से प्रारम्भ होकर रविवार दोपहर 12:52 तक रहेगी। यानी इसी बीच शाही स्नान का भी मुहूर्त रहेगा। अनेक वर्षों बाद ऐसा शुभ अवसर आया है जब मौनी अमावस्या पर ग्रह नक्षत्र कल्याणकारी भूमिका में हैं जो मानव की हर कामना को पूर्ण करेंगे।

इस दिन एक बार फिर अखाड़ों और नागा बाबाओं के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। इस स्नान का महत्व इसलिए भी इसबार बढ़ गया है क्योंकि चतुष्पद के लिए स्नान न मिलने से नाराज चल रहे शंकराचार्य भी इस स्नान में भाग लेंगे।

परंपरा अनुसार मौनी अमावस्या के शुभ मुहूर्त में अखाड़े और नागा संन्यासी ही सबसे पहले संगम पर डुबकी लगाते हैं। मेला प्रशासन के मुताबिक मेला स्थल पर तकरीबन 3 करोड़ लोगों के स्नान करने की संभावना है।