यूं तो मौसम संबंधी किसी भी पूर्वानुमान के लिए हम मौसम विज्ञानियों की मदद लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसी जगह के बारे में सुना या सोचा है, जहां ईश्वर स्वयं ही मौसम बदलने की सूचना देते हों। साथ ही स्थानीय निवासी भी इसी के अनुसार खेती संबंधी अपनी योजना बनाते हों! आइए, जानते हैं कि ऐसी कौन-सी जगह है और ईश्वर का कौन-सा स्वरूप है यहां, जिससे मानसून की जानकारी भक्तों को मिलती है…
कानपुर की घाटमपुर तहसील का यह गांव
हमारे देश में कई ऐसे चमत्कारी मंदिर हैं, जिनके बारे में आज तक कोई भी कुछ समझ नहीं पाया है। इन्हीं में से एक मंदिर स्थित है कानपुर जिले की घाटमपुर तहसील के बेहटा गांव में। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ जी का है। इस मंदिर में मानसून आने से ठीक 15 दिन पहले मंदिर की छत से पानी टपकने लगता है। इसी से आस-पास के लोगों को बारिश के आने का अंदाजा हो जाता है।
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5 हजार साल पुराना है इतिहास
इस मंदिर का इतिहास 5 हजार साल पुराना बताया जाता है। यहां मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। इनके अलावा मंदिर में पद्मनाभ स्वामी की भी मूर्ति स्थापित है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि उनके पूर्वज भी मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों से ही मानसून के आने का पता करते थे और वर्षों से वे भी ऐसा ही करते आ रहे हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों के हिसाब से ही बारिश भी होती है। यदि बूंदें कम गिरीं तो यह माना जाता है बारिश भी कम होगी। इसके उलट अगर ज्यादा तेज और देर तक बूंदें गिरीं तो यह माना जाता है कि बारिश भी खूब होगी। मंदिर से मिलने वाली इस सूचना का प्रभाव आस-पास के 50 किलोमीटर के दायरे तक में देखने को मिलता है।
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बूंदों से तय होती है किसानों की खेती
स्थानीय निवासियों के मुताबिक वह अपनी खेती भी मंदिर से गिरने वाली बूंदों के हिसाब से ही करते हैं। इसके ही मुताबिक खेतों की जुताई और बुआई का समय तय किया जाता है। बताया जाता है कि आज तक ऐसा नहीं हुआ कि मानसून आ गया हो और मंदिर से बूंदों के रूप में सूचना न मिली हो। बताया जाता है कि कई बार वैज्ञानिक और पुरातत्व विशेषज्ञों ने मंदिर से गिरने वाली बूंदों की पड़ताल की। लेकिन सदियां बीत गई हैं इस रहस्य को, आज तक किसी को नहीं पता चल सका कि आखिर मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों का राज क्या है।
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