बिना शादी के ससुराल सुनकर आपको हैरानी हो सकती है लेकिन बात कुछ ऐसी ही है। उत्तर प्रदेश के दो प्रसिद्ध गांव जिनका भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से संबंध रहा है उन दोनों गांवों में बड़े-बुजुर्गों को भी याद नहीं है कि कभी दोनों गांवों के बीच किसी लड़के लड़की की शादी हुई है। लोग बताते हैं कि करीब 5000 साल पुरानी परंपरा यहां आज भी जीवित है। परंपराओं के कारण लोग इस गांव से वैवाहिक संबंध नहीं जोड़ते जबकि दोनों गांवों के लोग एक-दूसरे का भरपूर सम्मान करते हैं और ससुराल का नाता निभाते हैं।
दरअसल इस परंपरा के पीछ भगवान श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम है। इनके प्रेम को सम्मान देते हुए बरसाना गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी नंदगांव में नहीं करते हैं और नंदगांव के लोग अपने बेटों की शादी बरसाना में नहीं करते हैं।
बरसाने की विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली, इस तरह गोपियां बढ़ा रही हैं ताकत
यहां के लोग बताते हैं कि नंदगांव और बरसाना की इस परंपरा को दोनों गांव के हर जाति धर्म के लोग निभाते हैं। बरसाना आज भी भगवान श्रीकृष्ण को अपना दामाद मानता है और नंदगांव को बेटी का ससुराल। यही वजह है कि बरसाना के बड़े-बुजुर्ग आज भी बेटी का ससुराल मानकर नंदगांव का पानी तक नहीं पीते। नंदगांव से आने वाले मेहमानों को बरसाना निवासी दामाद की तरह मानते हैं और घर से खाली हाथ विदा नहीं करते।
श्रद्धालुओं पर हुई लड्डुओं की बौछार, फिर लट्ठ की मार
नंदगांव के लोग भी बरसाने वालों को बहू का मायका वाले मानते हैं और उनका आदर सम्मान करते हैं। बरसानावासी मानाते है ंकि नंदगांव से श्रीकृष्ण ही इस गांव के एक दामाद हैं और वही हमेशा रहेगें, किसी और को इस गांव का दामाद बनाकर वह राधा कृष्ण के प्रेम को कम करना नहीं चाहते।
राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर आज भी बरसाना और नंदगांव के बीच लट्ठमार होली खेली जाती है। बरसाना गांव की गोपियां 16 ऋृंगार करके नंदगांव के गोपों को लट्ठ मारती हैं। दरअसल यह राधा कृष्ण के उस प्रेम का प्रतीक है। जब नंदगांव के गोपों के साथ मिलकर श्रीकृष्ण बरसाना में गोपियों से होली खेलने पहुंचते हैं तो बरसाना की गोपियां प्रेम में पगे लट्ठ लेकर इन्हें मारती हैं और कान्हा बड़े आनंद से लट्ठ से बचाव करते हुए होली खतते हैं।