आज अवध में उत्सव भारी,
घी के दीप जलाए हैं,
छम छम नाचे बजरंगी,
श्री राम अयोध्या आए हैं ॥दीन-दयाल दया के सागर सबको गले लगाते हैं,
जिसपर तेरा नाम लिखा वो पत्थर भी तर जाते हैं,
छोड़ के झूठी दुनिया सारी,
शरण तुम्हारी आए हैं,
छम छम नाचे ॥
घी के दीप जलाए हैं,
छम छम नाचे बजरंगी,
श्री राम अयोध्या आए हैं ॥दीन-दयाल दया के सागर सबको गले लगाते हैं,
जिसपर तेरा नाम लिखा वो पत्थर भी तर जाते हैं,
छोड़ के झूठी दुनिया सारी,
शरण तुम्हारी आए हैं,
छम छम नाचे ॥
कब से शबरी बाट निहारे आज घड़ी वो आई है,
पाकर सम्मुख अपने राम को मन ही मन हर्षाई है,
तेरे मिलन के ख़ातिर ही,
थोड़े से साँस बचाये हैं,
छम छम नाचे ॥
असुवन जल से चरण पखारूँगा मैं मेरे राम के,
जन्म सफल हो जाए दर्शन पाकर पावन धाम के,
“पाल” विशाल सजी है झाँकी,
फूलों से महकाए हैं,
छम छम नाचे ॥