इतिहास की किताबें पढ़ने से पता चलता है कि कनॉट प्लेस के इस स्थान पर मंदिर का निर्माण वर्ष 1365 ईस्वी में राजा मानसिंह ने अपने पुत्र जय सिंह के नाम पर करवाया था। उस वक्त इस स्थान का नाम जयसिंह पुरा रखा गया। बताते हैं कि उस वक्त राजा मानसिंह ने खेती के लिए वहां की जमीन को मजदूरों से साफ करवाने के लिए कहा था, उस वक्त खुदाई के दौरान हनुमान की मूतिर् जमीन से निकली। इस घटना को विशेष मानते हुए मानसिंह ने उस जगह मंदिर बनवाने का आदेश दिया था। और तब से यह मंदिर यहां जस का तस स्थापित है।
इस मंदिर के प्रधान महंत मदनलाल शर्मा ‘बाबाजी’ के अनुसार इस मंदिर की मान्यताएं ही भक्तों को अपने से जोड़कर रखती है। उनका कहना है कि यह मंदिर दक्षिण मुखी है, जो हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है और इतना बड़ा दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर पूरे वर्ल्ड में कहीं नहीं है। बाबाजी के अनुसार इस मंदिर की देखरेख में उनके परिवार की 34 पीढ़ियां सेवा में जुटी हैं। मंदिर में लोगों की सुविधा के लिए लगातार निर्माण किए गए हैं, जिससे इसकी सुंदरता और भव्यता लगातार बढ़ती रही है। उन्होंने कहा कि मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रहती है। इन दिनों इनकी संख्या बढ़कर 70 हजार तक पहुंच जाती है। हनुमान जयंती से जुड़े विशेष पर्व पर तो भक्तों की तादाद एक लाख से ऊपर पहुंच जाती है।
यह मंदिर कनॉट प्लेस के व्यस्त इलाके में है, इसलिए इसकी सुरक्षा को लेकर खासे इंतजाम किए गए हैं। मंदिर के अंदर 21 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। मंगलवार व शनिवार को वहां खासी सुरक्षा होती है और पुलिस का पर्याप्त इंतजाम किया जाता है। मंदिर और उसके आसपास सफाई व्यवस्था को लेकर भी खासी सजगता भी दिखाता है मंदिर प्रशासन। यह मंदिर आम के साथ साथ खास लोगों में भी खासा लोकप्रिय है। पुराने कलाकारों में राजकुमार से लेकर आज के फिल्मी स्टार आमिर खान भी सीपी के इस भव्य मंदिर के दर्शन कर चुके हैं। देश और दिल्ली के छोटे बड़े नेता भी जब तब इस मंदिर में आकर शीश नवाते रहे हैं। मंदिर में हनुमान दरबार के साथ साथ राम दरबार, कृष्ण, पंचमुखी हनुमान, शिव पंचायत, साई बाबा और लक्ष्मी पूजन दरबार भी है। मंदिर में एक समाधि है। महंत बाबाजी ने बताया कि यह समाधि महंत ध्यानचंद शर्मा की है, जिन्होंने वर्ष 1742 में यह समाधि ली थी।