सरदार पटेल की बेटी से मिलकर जब कांग्रेसी कार्यकर्ता हो गए नतमस्तक

उन दिनों सरदार पटेल बीमार चल रहे थे। पुत्री मणिबेन उनके साथ थीं। उसी दौरान एक दिन वरिष्ठ कांग्रेसी महावीर त्यागी अपने कुछ साथियों के साथ वल्लभ भाई को देखने आए। मणिबेन ने उन सबको आदर के साथ बैठाया और सरदार पटेल का हालचाल बताने लगीं। बातचीत के दौरान ही महावीर त्यागी ने गौर किया कि मणिबेन की धोती में जगह-जगह पैबंद लगे हुए हैं।

वह उठकर उनके पास गए और धीरे से बोले, ‘बेटी, तुम एक ऐसे व्यक्ति की बेटी हो जिसने साल भर में इतना बड़ा राज्य स्थापित कर दिया, जितना बड़ा न बादशाह अकबर का था और न ही सम्राट अशोक का। तुम्हारे पिता को बड़े आदर से सब सरदार कहकर पुकारते हैं। सरदार यानी जो सबका मुखिया हो। ऐसे बड़े सरदार की बेटी होकर तुम ऐसी धोती पहने हुए हो! यह तो बड़े शर्म की बात है।’

मणिबेन आत्मविश्वास से बोलीं, ‘शर्म आए उनको जो झूठ बोलते, बेईमानी करते और शेखी बघारते हैं। हमको क्यों शर्म आए?’ इस पर महावीर त्यागी बोले, ‘सरदार पटेल का देश में एक रुतबा है। मैं तो इस नाते कह रहा था।’ मणिबेन ने कहा, ‘पिताजी का रुतबा उनके रुपये से नहीं, बल्कि कामकाज से है। मेरे पिता ने मुझे नैतिक दृष्टि से स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग बताया है।

इसके लिए व्यक्ति को बढ़िया और महंगे कपड़े पहनने की जरूरत नहीं होती, बल्कि सचाई को पहचानकर उसे अंगीकार मात्र करने की आवश्यकता होती है। व्यक्ति सादगी के साथ ही नैतिक और स्वस्थ जीवन जी सकता है। मैं अपने जीवन को ऐसे जीना ही श्रेष्ठ समझती हूं।’ मणिबेन का खरा जवाब सुनकर महावीर त्यागी के साथ ही वहां उपस्थित अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता उनके आगे नतमस्तक हो गए। बेटी के आत्मविश्वास और सचाई के मार्ग पर चलने के उसके संकल्प के बारे में जानकर बीमारी में भी सरदार पटेल का चेहरा खिल उठा।– संकलन : रेनू सैनी