हनुमान जी को क्यों करना पड़ा था विवाह, जानें कौन हैं उनकी पत्नी जिनके साथ इस मंदिर में विराजमान हैं बजरंगबली

हनुमान जी के परिवार के बारे में जब भी बात की जाती है, तो उनके पिता केसरी और माता अंजनी के अलावा उनके पुत्र मकरध्वज का नाम भी लिया जाता है। रामायण की कथा के अनुसार मकरध्वज का जन्म हनुमान जी के पसीने से उस समय हुआ था, जब वे नदी में स्नान कर रहे थे। हनुमान जी को पुत्र होने के बाद भी ब्रह्मचारी माना जाता है क्योंकि मकरध्वज का जन्म हनुमान जी के किसी स्त्री के योग से नहीं हुआ था। पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह की एक कथा मिलती है। इस कथा के अनुसार कुछ विशेष परिस्थितियों में हनुमान जी को विवाह करना पड़ा था। आइए, जानते हैं हनुमान जी के विवाह की कथा।

हनुमान जी ने अपने गुरु सूर्यदेव से प्राप्त की है विद्या

हनुमान जी ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था और उनसे शिक्षा ले रहे थे लेकिन इस दौरान एक समस्या आ गई। वास्तव में सूर्यदेव हनुमान जी को 9 में से केवल 5 तरह की विद्या ही सिखा पाए क्योंकि बाकी 4 विद्या केवल विवाहित को सिखाई जा सकती थी। सूर्यदेव सृष्टि की मर्यादा नहीं तोड़ सकते थे। सूर्यदेव के सामने एक बड़ा धर्मसंकट आ खड़ा हुआ। ऐसे में कोई मार्ग न निकलता देखकर सूर्यदेव ने हनुमान जी को विवाह करने की सलाह दी। सूर्यदेव की बात सुनकर हनुमान जी के सामने भी एक धर्मसंकट था क्योंकि आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा करने वाले हनुमान जी विवाह नहीं करना चाहते थे।

सूर्यदेव के कहने हनुमान जी ने सूर्यपुत्री देवी सुवर्चला से किया विवाह

हनुमान जी ने सूर्यदेव से शिक्षा लेने के लिए एक वचन दिया था, लेकिन शर्त ये थी कि उन्हें विवाहित होना होगा। हनुमान जी ने अपने गुरु की बात तो मान ली लेकिन उन्होंने इसी के साथ यह शर्त भी रखी कि वे विद्या ग्रहण करने के लिए विवाह कर लेंगे लेकिन पति-पत्नी जैसा कोई सम्बध नहीं रखेंगे। सूर्यदेव ने हनुमान जी की बात मानते हुए अपनी पुत्री सुवर्चला से उन्हें विवाह करने के लिए कहा। सूर्यदेव की बात मानकर हनुमान जी ने विवाह के लिए स्वीकृति दे दी। इस तरह सूर्यदेव की तेजस्वी और तपस्वी पुत्री सुवर्चला के साथ हनुमान जी का विवाह हुआ।

कलियुग में धर्म की रक्षा के लिए हनुमान जी ने किया विवाह

इस विवाह के बाद हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूरी की और सुवर्चला अपनी तपस्या में लीन हो गईं। पराशर संहिता में भी इस बात का उल्लेख है कि हनुमान जी और सुवर्चला का विवाह सिर्फ ब्रह्मांड के कल्याण के लिए हुआ था। इससे हनुमान जी का ब्रह्मचर्य भी प्रभावित नहीं हुआ। हनुमान जी को चिंरजीवी होने का वरदान प्राप्त है इसलिए संपूर्ण विद्या प्राप्त करके उन्हें कलियुग में भगवान कल्कि का साथ देने के लिए विवाह करना पड़ा क्योंकि विवाह के बिना उन्हें सूर्यदेव से संपूर्ण विद्या प्राप्त नहीं हो सकती थी। कलियुग में धर्म की रक्षा करने के लिए हनुमान जी को संपूर्ण ज्ञान और विद्या की आवश्यकता थी।

इस मंदिर में अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं हनुमान जी

आपने हनुमान जी के कई प्राचीन मंदिर देखे होंगे। इन मंदिरों में हनुमान जी अकेले या फिर प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी चरणों में बैठे हुए हैं लेकिन तेलंगाना में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं। तेलंगाना के खम्मम जिले में एक अद्भुत मंदिर है जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं। यह मंदिर अपनी तरह का एकमात्र मंदिर बताया जाता है और यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि यहां हनुमान जी और उनकी पत्नी के दर्शन करने से पति-पत्नी के बीच के सभी क्लेश दूर हो जाते हैं।