अनाथाश्रम से टाइम मैगजीन तक पहुंच गई इस महिला की लोकप्रियता जानिए कैसे?

ग्रैबील शनेल की मां की मृत्यु तब हो गई थी जब वह केवल दो साल की थीं। उनका पालन-पोषण अनाथालय में हुआ। थोड़ी बड़ी होते ही उन्होंने गाना शुरू कर दिया। उनके गानों के बोल कुछ इस तरह थे- को को री को और कि क्वा वू कोको। इसलिए उनका उपनाम कोको पड़ गया और उन्हें कोको शनेल के नाम से जाना जाने लगा। बड़ी होकर उन्होंने हैट बनाना शुरू किया और अपनी एक दुकान खोल ली। उनके मित्र ने उन्हें बिजनस बढ़ाने के लिए ऋण दिया।

कोको बेहद मेहनती थीं। मात्र पांच साल में ही उन्होंने अपने काम को इतना अधिक बढ़ा लिया कि अब उनके यहां 300 कर्मचारी काम कर रहे थे। उन्होंने अपने मित्र का सारा ऋण भी चुका दिया। वह लगातार एकाग्रता के साथ अपने काम में लगी रहीं। बीस वर्षों बाद उनके यहां चार हजार कर्मचारी काम कर रहे थे और वह पूरे विश्व में मॉडलों के नवीनतम फैशन को बाजार में लाने के लिए प्रसिद्ध हो चुकी थीं। उन्हें 20वीं सदी की सबसे प्रभावी फैशन डिजाइनर के रूप में फैशन ऑस्कर से सम्मानित भी किया गया। उन्होंने एक परफ्यूम शनेल नंबर पांच बनाया। यह उस समय इतना प्रसिद्ध हुआ कि आज भी उसकी मूल शीशी न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ मॉर्डन आर्ट में स्थायी रूप रूप से रखी है।

1920 के दशक में उन्होंने महिलाओं के बेहद आधुनिक कपड़े डिजाइन किए। उनके इन्हीं कपड़ों की अनेक फैशन डिजाइनरों ने नकल करनी आरंभ कर दी थीं। कोको शनेल का आदर्श वाक्य था कि जीवन में अलग करने का साहस हो तो हर विपरीत परिस्थिति सहज हो जाती है। वह 20वीं सदी के 100 सबसे प्रभावी व्यक्तित्व की टाइम मैगजीन में आने वाली फैशन उद्योग की एकमात्र प्रतिनिधि थीं। वह जीवन में अनाथाश्रम से टाइम मैगजीन तक इसलिए पहुंच पाईं क्योंकि उनके अंदर कुछ अद्भुत करने का जज्बा था।

संकलन : रेनू सैनी