अपनी जिम्मेदारियों की ओर इशारा करते हुए लिंकन ने कहा, ‘मेरा सारा ध्यान अब इस बात पर है कि मैं अपने पद पर रहते हुए ऐसा क्या खास करूं कि अमेरिका पूरे विश्व में एक महान और विकसित राष्ट्र के रूप में समृद्ध हो। यदि मैं अपने देश के लिए कल्याण के कार्य करुंगा तो किसी को भी मेरी महानता बताने के प्रयास नहीं करने पड़ेंगे। मैं चाहता हूं कि मुझे इन बातों से कतई न पहचाना जाए कि मैं गरीब था, मेहनती था, बल्कि इन बातों से पहचाना जाए कि मैंने अपने राष्ट्र के लिए ऐसे कार्य किए जिनसे एक नए युग का सूत्रपात हुआ। मैं चाहता हूं कि आप और हम मिलकर एक ऐसे देश का निर्माण करें जहां पर हर वर्ग समान हो, जहां पर किसी को व्यर्थ ही सताया न जाए।’
उनकी ऐसी बातों पर वहां उपस्थित लोग देर तक तालियां बजाते रहे। किसी व्यक्ति ने वहां ऊंचे स्वर में कहा, ‘देखना, राष्ट्रपति महोदय की यही बातें एक दिन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध होंगी और प्रत्येक व्यक्ति के अंदर प्रेरणा भरेंगी।’ उस व्यक्ति की बातें सत्य साबित हुईं। आज लिंकन के कार्य और शब्द प्रत्येक व्यक्ति को असफलता के क्षणों में नवजीवन प्रदान करते हैं।– संकलन : रेनू सैनी