आठ प्रहर क्या है? (What is Eight Prahar?)

हिंदू धर्म के अनुसार दिन और रात को मिलाकर 24 घंटे में आठ प्रहर होते हैं। औसतन एक प्रहर तीन घंटे या साढ़े सात घंटे का होता है, जिसमें दो मुहूर्त होते हैं। एक प्रहर 24 मिनट की एक घाट होती है। कुल आठ प्रहर, दिन के चार और रात के चार। इसी के आधार पर भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रत्येक राग के गायन का समय निश्चित होता है। प्रत्येक राग की रचना प्रहार के अनुसार होती है।आमतौर पर सेकण्ड, मिनट, घंटे, दिन-रात, महीना, साल, दशक और शताब्दी की ही प्रचलित अवधारणा है, लेकिन हिंदू धर्म में अनु, तृसरेनु, तृति, वेद, लावा, निमेश, कशन, कशथा, लघु है। , दंड, मुहूर्त, प्रहार यम, दिवस, पक्ष, माह, ऋतु, अयान, वर्ष, दिव्य वर्ष, युग, महायुग, मन्वंतर, कल्प और अंत में ब्रह्मा की वृहत्तर काल प्रणाली, एक दिन और एक रात तक , दो कल्पों को मिलाकर निर्धारित किया जाता है।

हिंदू धर्म के अनुसार आठ प्रहर के नियम क्या हैं?
आठ प्रहरों के नाम: दिन के चार प्रहर- 1. पूर्वाह्न, 2. मध्याह्न, 3.अपरान्ह और 4.सायंकाल। रात्रि के चार प्रहर – 5. प्रदोष, 6. निशीथ, 7. त्रियामा एवं 8.उषा।

आठ प्रहर: एक प्रहार तीन घंटे का होता है। दिन का पहला प्रहर सूर्योदय के समय शुरू होता है जिसे पूर्वान्ह कहते हैं। दिन का दूसरा पहर, जब सूर्य सिर पर आ जाता है, तब तक रहता है जब तक उसे मध्याह्न कहा जाता है।

इसके बाद अपराह्न (दोपहर के बाद) का समय शुरू होता है, जो करीब 4 बजे तक चलता है। 4 बजे के बाद दिन शाम तक चलता है। फिर क्रमशः प्रदोष, निशीथ और उषा काल। सायंकाल के बाद ही प्रार्थना करना चाहिए।

वैष्णव मन्दिरों में आठ प्रहर की सेवा-पूजा का विधान ‘अष्टयाम’ कहा जाता है। वल्लभ सम्प्रदाय में मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, संध्या-आरती तथा शयन के नाम से ये कीर्तन-सेवाएं हैं। अष्टयाम हिन्दी का अपना विशिष्ट काव्य-रूप जो रीतिकाल में विशेष विकसित हुआ।