आर्थिक स्थिति के कारण आ गई थी पढ़ाई में रुकावट, मदद मिली तो कर दिया कारनामा

संकलन: दीनदयाल मुरारका
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक मेहनती छात्र था हरबर्ट। एक वक्त आया जब उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। पढ़ाई का खर्च जुटाना उसके लिए मुश्किल हो गया। ऐसे में अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसने महान पियानो वादक इग्नेसी पैडरेस्की को बुलाने की सोची। इग्नेसी के मैनेजर ने 2000 डॉलर की गारंटी मांगी। हरबर्ट और उसके दोस्तों ने अमानत के रूप में 1600 डॉलर जमा करा दिए और 400 डॉलर चुकाने का करारनामा कर लिया। लेकिन बाकी के 400 डॉलर वे इकट्ठा नहीं कर पाए।

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इग्नेसी को पता चला तो उन्होंने करारनामा फाड़ डाला। उन्होंने 1600 डॉलर भी लड़कों को लौटा दिए और बोले, ‘मुझे पढ़ाई के प्रति लगनशील बच्चों से कुछ नहीं चाहिए। इसमें से प्रोग्राम का खर्चा निकाल लो, और बची रकम में से 10 फीसद अपने मेहनताने के तौर पर रख लो, बाकी मैं रख लूंगा।’ लड़के इग्नेसी की इस महानता के आगे नतमस्तक थे। समय गुजरता गया। इग्नेसी अब पोलैंड के प्रधानमंत्री थे। अपने देश के हजारों भूख से तड़पते लोगों के लिए भोजन जुटाने के लिए वे संघर्ष कर रहे थे। उनकी मदद केवल यूएस फूड एंड रिलीफ ब्यूरो का अधिकारी हरबर्ट हुवर कर सकता था।

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जब यह बात हुवर को मालूम हुई तो उसने बिना देर किए हजारों टन अनाज वहां भिजवा दिया। इग्नेसी हुवर को व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद देने के लिए गए। उन्हें देखकर हरबर्ट बोला, ‘सर, धन्यवाद की कोई जरूरत नहीं है। कॉलेज में आपने मेरी पढ़ाई जारी रखने में मदद की थी।’ यह सुनकर इग्नेसी पैडरेस्की की आंखें नम हो गई। उन्हें उन दो विद्यार्थियों की पुरानी बात याद आ गई। नम आंखें पोंछते हुए वह बोले, ‘किसी ने सच कहा है कि निस्वार्थ भाव से की गई मदद का मूल्य कई गुना होकर लौटता है।’