अध्यात्म, योग करते समय अथवा ईश्वर की प्राप्ति के लिए ईशान कोण की ओर मुख करके बैठें। पूजा के लिए सबसे उचित स्थान ईशान कोण होता है। इस दिशा में खड़े होकर सूर्य को जल चढ़ाना बहुत ही शुभ होता है। ईशान कोण को सबसे पहले सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है, जिसके कारण घर में रोग कम ही आता है। ईशान दिशा हमें बुद्धि, ज्ञान, विवेक, धैर्य और साहस प्रदान करती है तथा सभी तरह के कष्टों से मुक्त रखती है, यहीं पर आपके घर की सारी सकारात्मक ऊर्जा रहती है।
मकान का स्वर्ग ईशान कोण में होता है। सभी प्रकार के शुभ कार्य इसी दिशा में करने चाहिए ताकि मांगलिक कार्यों में बाधा न आये। ईशान में भूलकर भी जूते, चप्पल या कोई अपवित्र वस्तु न रखें, यदि संभव हो तो, इस दिशा में नंगे पांव चलना चाहिए। ईशान कोण में कभी भी सेप्टिक टैंक या शौचालय न बनायें। इस कोण में जल की व्यवस्था हमेशा भूमिगत ही होनी चाहिए, छत पर टंकी न बनायें।
ये उपाय हैं लाभदायक – अगर आप के मकान का ईशान कोण कटा है तो कटी हुई दीवार पर कटाव से बढ़े साइज का शीशा लगायें। इसके अलावा ईशान कोण में बृहस्पति यंत्र तथा बृहस्पति भगवान की फोटो लगायें। गुरुवार को गरीबों को बेसन के ग्यारह लड्डू बांटे। ईशान कोण में तांबे के लोटे में पानी भरकर रखें।
ज्योतिषाचार्य गुंजन वार्ष्णेय, प्रयागराज