इस मंदिर में खुलता है किस्मत का बंद ताला, ऐसे शुरू हुई परंपरा

लाख कोशिशों के बाद भी जब काम नहीं बनता है तो लोग कहते हैं कि किस्मत पर ताला लगा हुआ है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है और आपको लगने लगा है कि आपकी किस्मत पर भी ताला लगा है तो आप इस ताले को खोलने के लिए कानपुर के बंगाली मोहाल मोहल्‍ले में स्थित काली माता के मंदिर में चले आइए। आपको जानकर हैरानी होगी कि, लोगों का ऐसा विश्वास है कि यहां माता के मंदिर में ताला चाबी चढ़ााने से भक्तों के किस्मत का ताला खुल जाता है। आइए जानें यह परंपरा कैसे शुरू हुई और मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं में किस तरह का विश्वास दिखता है।

इस तरह शुरू हुई ताला लगाने की परंपरा
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि वर्षों पहले एक महिला हर दिन मंदिर में पूजा करने आया करती थी। एक दिन वह महिला मंदिर में ताला लेकर आयी और एक पेड़ के पास ताला लगाने लगी। लोगों ने उसे ऐसा करते देखा तो पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रही है। महिला ने बताया कि, देवी ने सपने में दर्शन दिया है और ताला लगाने के लिए कहा है इससे मुरादें पूरी होंगी। इस घटना के बाद महिला फिर मंदिर में नजर नही आई। कुछ वर्षों बाद अचानक ही एक दिन मंदिर से ताला गायब हो गया। दीवारों पर लिखा हुआ था कि मुरादें पूरी हो गई हैं इसलिए ताला खोल दिया है और अपने साथ ले जा रही है। इस घटना के बाद से यहां ताला चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।

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ऐसे खुलता मन्‍नतों का ताला

मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में लोग ताला चढ़ाने आते हैं। मन्‍नतें पूरी होने के बाद श्रद्धालु विधि-विधान पूर्वक माता की पूजा करते हैं और फिर ताला खोलते हैं। इसके बाद वह दीवार पर अपनी मुराद पूरी होने की बात लिखते हैं। मंदिर की ऐसी प्रसिद्धि है कि देश के कोने-कोने से यहां पर भक्‍त आते हैं और बंद किस्‍मत का ताला खुलने की अर्जी लग‍ाकर मंदिर में ताला बंद करके जाते हैं। मुरादें पूरी होने पर लोग वापस आकर अपनी किस्मत का ताला खोलते हैं।

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माता खोल देती है किस्मत का बंद ताला
पुजारी और श्रद्धालु बताते हैं कि मंदिर में मन्‍नतों का ताला जब लगता है तो माता अपने भक्‍तों की किस्‍मत के ताले जल्‍दी ही खोल देती हैं। यही वजह है कि मन्‍नत पूरी होते ही भक्‍त जल्‍दी से जल्‍दी इस ताले को खोलने के लिए आते हैं। हालांकि मंदिर कब और किसने बनवाया यह कोई नहीं जानता। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मंदिर प्रचीन है और इनके पूर्वजों को भी यह ठीक-ठीक पता नहीं है कि मंदिर का निर्माण किसने करवाया था।

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