मंदिर और वह भी शापित, ऐसा किसी फिल्म या टीवी सीरियल में ही देखने को मिलता है। लेकिन उत्तराखंउ में एक देवालय है, जो कि अभिशप्त माना जाता है। यहां पूजा करने वाला बर्बाद हो जाता है। यह शापित मंदिर भगवान शिव है का जो पिथौरागढ़ से तकरीबन 6 किलोमीटर दूर बल्तिर ग्राम सभा में स्थित है।
यह मंदिर ‘एक हथिया देवाल’ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में किंवदंती है कि इस गांव में एक मूर्तिकार रहता था। जो पत्थरों को तराश कर मूर्तियां बनाया करता था। एक दिन की बात है कि किसी दुर्घटना में उसका एक हाथ खराब हो गया। इसके बावजूद मूर्तिकार के अंदर मूर्तियां बनाने का उत्साह कम नहीं हुआ।
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उसने सोचा कि एक हाथ खराब हुआ तो क्या हुआ, वह अपने दूसरे हाथ के सहारे ही मूर्तियों का निर्माण करेगा। लेकिन इस घटना के बाद गांववालों ने उसे ताने मारने शुरू कर दिए। गांव के लोग उसे अक्सर ही ताने देते और कहते कि अब एक हाथ से क्या मूर्तियां बनेंगी।
मूर्तिकार उनकी बातें सुन-सुनकर परेशान हो गया था। एक दिन जब उसकी सहन शक्ति समाप्त हो गई तो उसने गांव छोड़कर जाने का निश्चय कर लिया। इसके बाद रात के समय वह मूर्तियां बनाने का आवश्यक सामान साथ लेकर गांव के दक्षिणी छोर की ओर निकल गया।
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गांव के इस छोर पर एक बहुत बड़ी चट्टान थी। रात भर में मूर्तिकार ने चट्टान को काटकर एक छोटा सा देवालय बना दिया। सुबह जब लोग शौक के लिए इधर आए तो चट्टान की जगह एक मंदिर दिखा लोगों को बड़ी हैरानी हुई। इसके बाद गांव से वह मूर्तिकार भी गायब हो गया। लोग समझ गए कि यह मंदिर उसी मूर्तिकार का बनाया हुआ है।
एक हाथ से मंदिर का निर्माण होने की वजह से लोगों ने इसे एक हथिया देवाल मंदिर कहना शुरू कर दिया जिसका अर्थ है एक हाथ से बना हुआ देवालय। पंडितों ने जब इस मंदिर के शिवलिंग को देखा तो कहा कि शिवलिंग का अर्घा विपरीत दिशा में है जिससे यहां पूजा करने वाले का बड़ा अनिष्ट हो सकता है। अनिष्ट के भय से मंदिर विरान है और यहां कोई भी शिवलिंग की पूजा करने नहीं आता। हलांकि मुंडन आदि संस्कार के लिए लोग यहां पास के तालाब में स्नान के लिए जरूर आते हैं।