उत्तर-पूर्व दिशा में सोने का कमरा होने से पति-पत्नी के बीच क्यों बढ़ जाते हैं लड़ाई-झगड़े, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ईशान कोण दिशा के नियमों से जुड़ीं ये गलतियां

वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाओं का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हर दिशा से एक तरह की ऊर्जा जुड़ी होती है। हम इन दिशाओं में जो भी काम करते हैं, उस पर इन्हीं ऊर्जाओं का प्रभाव पड़ता है। जैसे, दक्षिण दिशा को यमलोक और पितरों की दिशा माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पौराणिक मान्यता भी है कि दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पूजा-पाठ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। इसी तरह वास्तु शास्त्र में इस बात का उल्लेख भी किया गया है कि सोने के लिए कौन-सी दिशा उत्तम होती है। कई लोगों के मन में सवाल रहता है कि ईशान दिशा में शयन कक्ष यानी सोने वाले कमरे के होने से क्या होता है। आइए, जानते हैं ईशान दिशा में शयन कक्ष होने का क्या प्रभाव पड़ता है।

क्या होती है ईशान कोण दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर, दफ्तर या फिर किसी भी भवन की उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। ईशान क्षेत्र की दिशा परम पिता परमेश्वर की दिशा है जिस पर देव गुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है। अतः इस दिशा में शयन कक्ष नहीं बनाना चाहिए क्योंकि मोग विलास और शयन सुख पर शुक्र का स्वामित्व है।

वास्तु शास्त्र में ईशान कोण दिशा का क्या महत्व है

वास्तु शास्त्र में ईशान कोण दिशा का क्या महत्व है

उत्तर- पूर्व दिशा यानी ईशान कोण दिशा को देवताओं और ब्रह्म का स्थान माना जाता है। वास्तु के अनुसार, पूर्व दिशा में नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है। घर में खुशहाली आती है। उत्तर-पूर्व दिशा का महत्व वास्तु शास्त्र में बताया गया है। इस दिशा में उचित व्यवस्था से लाभ मिलता है।

ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होने से बढ़ते हैं झगड़े

ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होने से बढ़ते हैं झगड़े

इस दिशा अर्थात् गुरु के क्षेत्र में शयन कक्ष होने पर गुरु, शुक्र के प्रभाव में कमी लाएगा जिसके फलस्वरूप उचित शयनसुख नहीं मिल पाएगा। आपसी प्रेम में कमी एवं तकरार की स्थिति बनी रहेगी। साथ ही लंबी गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है। इस दिशा में शयनकक्ष होने से इंसान भौतिकता की ओर मुड़ता जाता है। उसमें भावानात्मक सम्बधों की समझ कम होने लग जाती है इसलिए पति-पत्नी के बीच झगड़े भी बढ़ जाते हैं।

किन लोगों के लिए बेहतर है ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होना

किन लोगों के लिए बेहतर है ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होना

पति-पत्नी के लिए ईशान-कोण दिशा में शयनकक्ष होना ठीक नहीं है लेकिन सत्तरह-अठारह साल तक के बच्चे के लिए ईशान क्षेत्र में शयनकक्ष बनाया जा सकता है। इस दिशा में शयनकक्ष रहने पर बच्चे अनुशासित और मर्यादित बने रहेंगे क्योंकि ज्ञान के स्वामी गुरु एवं बुद्धि के स्वामी बुध ग्रह का संयुक्त प्रभाव इस क्षेत्र पर बना रहता है। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में जल तत्व की अधिकता रहती है जो बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है। घर में वृद्ध जन जो सांसारिक कार्यों से विरक्त हो गए हैं उन्हें ईशान क्षेत्र में शयन कक्ष दिया जा सकता है।