…और अब कछुए वाली अंगूठी की बढ़ी डिमांड

प्रवीण राय, लखनऊलखनऊ के सराफा बाजारों में इन दिनों ‘कछुए वाली अंगूठी’ की जबरदस्त मांग है। किसी को लक्ष्मी जी से निकटता चाहिए तो किसी को लगता है कि इसे पहनने से व्यापार, आत्मविश्वास और सेहत दुरुस्त रहेगी। ऐसे में फिलहाल परिचितों को तोहफे में देने के लिए ऐसी स्पेशल अंगूठियां बनाने के लिए ऑर्डर भी खूब आ रहे हैं। अमीनाबाद और चौक के सराफा व्यापारियों के अनुसार, तीन महीने पहले ऐसी अंगूठियां बनवाने के लिए महीने में एक या दो ऑर्डर ही आते थे। लेकिन दिवाली से कुछ समय पहले से अचानक इनकी मांग बहुत बढ़ गई है। चौक के सराफा व्यापारी आदीश जैन के अनुसार, हर महीने औसतन 60 से 70 लोग कछुए वाली अंगूठी लेने आ रहे हैं। यही हाल शहर के दूसरे सराफा व्यापारियों का भी है। चौक सराफा असोसिएशन के पदाधिकारी विनोद माहेश्वरी के अनुसार, यह अंगूठी लेने वाले ही यह भी बताते हैं कि उन्हें यह अंगूठी अपने लिए नहीं, अपने किसी करीबी को देने के लिए चाहिए। वे साईज लेकर आते हैं और अंगूठी ले जाते हैं। कीमतअपनी-अपनी जेब के अनुसार लोग इन अंगूठियों को बनवा रहे हैं। जहां साधारण चांदी की कछुए वाली अंगूठी की कीमत 350 रुपये है, वहीं सोने की नग जड़ी अंगूठी करीब 50 हजार रूपए में बिक रही है। सराफा व्यापारियों की मानें तो 3 ग्राम से 20 ग्राम के वजन तक की अंगूठियां लोग बनवा रहे हैं। क्या कहते हैं वास्तुशास्त्रीप्रसिद्ध वास्तुशात्री संजीव कुमार बताते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, कछुआ भगवान विष्णु का एक अवतार रहा है। कछुआ धैर्य, शांति, निरंतरता और समृद्धि का प्रतीक है। लक्ष्मी जी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं, इसलिए कछुआ लक्ष्मी जी का भी प्रिय माना जाता है। ऐसे में लोगों को ऊर्जा व आत्मविश्वास के लिए ऐसी अंगूठी पहनने की सलाह दी जाती है। यह अंगूठी पहनते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कछुए के सिर वाला हिस्सा पहनने वाले की तरफ होना चाहिए।