करवा चौथ पर करते हैं माता के दर्शन
माधोपुर में करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेला पर लाखों श्रद्धालु आते हैं और माता के दर्शन करते हैं। करवा चौथ के दिन चौथ माता के मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। यहां मान्यता है कि करवा चौथ के दिन माता के दर्शन और पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है।
ये हैं करवा चौथ व्रत के लिए जरूरी चीजें, इनके बिना अधूरी है पूजा
राजपूताना शैली में है मंदिर
मंदिर तक पहुंचने के लिए यहां 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर की उंचाई कम से कम 1100 फीट है। चौथ माता का मंदिर राजपूताना शैली में सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इस मंदिर में चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरवनाथ की भी मूर्ति विधमान है।
मन मोहने वाला है प्राकृतिक सौंदर्य
यह स्थान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और यहां का प्राकृतिक सौंदर्य मन को हमेशा के लिए मोहने वाला है। मंदिर में वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली देखी जा सकती है। बताया जाता है कि यह मंदिर कम से कम 566 साल पुराना है।
राशि के अनुसार करवाचौथ पर पहनें कपड़े, मिलेगा मां पार्वती का आशीर्वाद
पहले देते हैं माता को निमंत्रण
यहां के स्थानिय लोग हर शुभ कार्य से पहले सबसे पहले चौथ माता को निमंत्रण देते हैं। तब जाकर वह अपना शुभ कार्य करते हैं। लोग बताते हैं कि ऐसा करने से सभी शुभ कार्य बिना किसी विघ्न के पूरे हो जाते हैं।
कुंवारी लड़कियां ऐसे करें करवा चौथ का व्रत, चांद नहीं इन्हें देखें…
कुलदेवी के रूप में पूजते हैं राजघराने
बूंदी राजघराने में आजतक चौथ माता को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। माता के नाम पर यहां चौथा माता बाजार भी है। मंदिर में पति की लंबी उम्र, संतान प्राप्ति और सुख व समृद्धि की कामना लेकर भक्तजन दर्शन करने आते हैं।
करवा चौथ पर बना कई साल बाद ऐसा संयोग, भूलकर भी ना करें ये काम
मंदिर में जल रही है अखंड ज्योति
मंदिर में सैकड़ों साल से एक अखण्ड ज्योति भी जल रही है। दर्शनार्थियों की संख्या के आधार पर यह मंदिर राजस्थान के 11 सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार है। वैसे तो यहां पर हर दिन भक्तजनों की भीड़ रहती है लेकिन करवा चौथ पर एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है।