कल्कि मंदिर का राम मंदिर से क्या है कनेक्शन, जानें संभल के श्री कल्कि धाम की खास बातें

भारत के इतिहास में राम मंदिर के बाद एक और भव्य मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले में श्री कल्कि धाम मंदिर की आधारशिला रखी है, इसे लेकर हर किसी के मन में भक्ति भाव और आस्था की लहर उठ रही है। भगवान कल्कि को भगवान विष्णु का 10वां अवतार माना जाता है। पौराणिक मान्यतानुसार जब कलियुग अपनी चरम सीमा पर होगा, तो भगवान कल्कि अवतरित होकर धरती को पाप मुक्त कर देंगे। इस कारण से श्री कल्कि धाम मंदिर का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। राम मंदिर की भव्यता देखकर भक्त अंदाजा लगा रहे हैं, कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बनने वाले श्री कल्कि धाम मंदिर की भव्यता और सौन्दर्य भी अयोध्या के राम मंदिर की तरह ही होगा। अगर आपके मन में भी सवाल है कि श्री कल्कि धाम मंदिर कितना खास होगा, तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इस मंदिर को इतना खास क्यों माना जा रहा है-

​​शिखर की ऊंचाई होगी 108 फीट​

मंदिर की ऊंचाई की बात करें, तो इस मंदिर का निर्माण 11 फीट ऊंचे चबूतरे पर होगा और इसके शिखर की ऊंचाई 108 फीट रखी जाएगी। इस मंदिर में 68 तीर्थों की स्थापना होगी। कहा जा रहा है कि इस मंदिर में कहीं भी लोहे या स्टील का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा बल्कि पत्थरों से ही मंदिर के सौन्दर्य को बनाया जाएगा।

​​गुलाबी पत्थरों से होगा श्री कल्कि धाम मंदिर का निर्माण​

इस मंदिर के रंग की बात करें, तो श्री कल्कि धाम मंदिर गुलाबी रंग की छटा बिखेरता हुआ नजर आएगा। इसका मतलब है कि कल्कि धाम मंदिर का निर्माण गुलाबी पत्थरों से किया जाएगा। इन गुलाबी पत्थरों को राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित बंशी पहाड़पुर से लाया जाएगा। आपको बता दें कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर और अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण भी इन्हीं पत्थरों से किया गया है। इस वजह से कल्कि मंदिर का कनेक्शन अयोध्या के राम मंदिर से जोड़ा जा रहा है।

​कब तैयार होगा मंदिर​

भगवान विष्णु के 10 अवतारों के लिए दस अलग-अलग गर्भगृह बनाए जाएंगे। श्री कल्कि धाम मंदिर का परिसर पांच एकड़ में बनकर तैयार होगा। इस भव्य मंदिर को बनाने में पांच वर्ष तक का समय लगेगा। माना जा रहा है कि इस मंदिर की भव्यता अयोध्या के राम मंदिर की तरह ही होगी।

​श्री कल्कि धाम मंदिर का महत्व​

श्री कल्कि धाम मंदिर के महत्व की बात करें, तो धर्मग्रंथों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि धरती पर जब-जब पाप बढ़ता है, तब-तब भगवान विष्णु धरती पर अवतरित होते हैं। त्रेता में भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया था। वहीं, द्वापर में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। कलियुग के बारे में कहा जाता है कि जब कलियुग अपनी चरम सीमा पर होगा, तो भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर धरती पर जन्म लेंगे और उनके जन्म के बाद वे पापियों का संहार करके इस धरती को पापमुक्त करेंगे, जिसके बाद कलियुग का भी अंत हो जाएगा।

जन्म से पहले ही भगवान कल्कि की मूर्ति होगी स्थापित

पौराणिक मान्यता के अनुसार कलियुग 432000 वर्ष का है, जिसमें पांच हजार वर्ष बीत चुके हैं। अभी कलियुग का पहला चरण चल रहा है। जब कलियुग अपने आखिरी चरण में होगा, तो भगवान कल्कि का जन्म होगा। इस कारण से इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह अपने आप में ऐसा पहला मंदिर होगा, जहां पर भगवान कल्कि के जन्म लेने से पहले ही उनकी मूर्ति स्थापित की जाएगी।