गौतम बुद्ध को एक जगह रुकना पसंद नहीं था। एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगातार भ्रमण करते रहना उनकी आदत थी। इस दौरान अक्सर वह अपने अनुयायियों को दैनिक जीवन में होने वाली मामूली घटनाओं के माध्यम से जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरल शब्दों में बताया करते थे। एक बार गौतम बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ एक जगह से गुजर रहे थे। उन्हें एक गांव में जाना था, जहां सैकड़ों की संख्या में लोग उनका उपदेश सुनने के लिए जुटे थे।
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गौतम बुद्ध अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ रहे थे कि इसी बीच उन्हें रास्ते में एक के बाद एक गड्ढे मिलने शुरू हो गए। यह देखकर उनके एक अनुयायी के मन में एक जिज्ञासा जागृत हुई। उसने गौतम बुद्ध से पूछा, ‘भगवन, यह बताने का कष्ट करें कि एक के बाद एक गड्ढे दिखाई पड़ रहे हैं। कोई भी गड्ढा ज्यादा गहरा नहीं है। इस तरीके से गड्ढा खोदने के पीछे किसी का मंतव्य क्या हो सकता है?’
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अनुयायी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए गौतम बुद्ध बोले, ‘यह कार्य किसी ऐसे व्यक्ति ने किया है, जो धैर्यवान नहीं है। उस व्यक्ति ने पानी की तलाश में कई गड्ढे खोद डाले, जो साफ बताता है कि वह कितना अधीर था। अगर वह व्यक्ति एक ही स्थान पर गहरा गड्ढा खोदता चला जाता तो उसे अवश्य ही पानी प्राप्त हो जाता, लेकिन उसने ऐसा किया ही नहीं। बल्कि वह गड्ढे के बाद गड्ढा खोदता गया और अंत में उसे पानी नहीं मिला। इतना ही नहीं, इन आधे-अधूरे गड्ढों को खोदने में उसने अपने परिश्रम को भी व्यर्थ में ही नष्ट किया। परिश्रम का सही परिणाम तभी सामने आता है, जब किसी कार्य को धैर्य के साथ पूरा किया जाए।’ यह सुनकर अनुयायी बोला, ‘आप सही कहते हैं भगवन। जीवन में भी यही बात लागू होती है।’