केवल भगवान के दर्शन नहीं इस तरह इंसान को ऊर्जा देते हैं मंदिर

प्राचीन भारत के ज्ञान के बारे में जानने का सबसे श्रेष्ठ स्थान हमारे मंदिर हैं, जिनके माध्यम से हमें खगोल विज्ञान, रसायन विज्ञान, ज्यामिति और आध्यात्मिकता की अद्‌भुत जानकारी प्राप्त हो सकती है। भारतीय मंदिर, भारत के सभी कौशल और ज्ञान के सारांश की तरह हैं। उस काल में लोगों ने अपनी सभी खोजों और कौशलों का प्रदर्शन मंदिरों के निर्माण में किया और उन्हें लागू भी किया।

एक मंदिर मात्र पूजा की जगह नहीं, बल्कि उससे भी कहीं अधिक है, यह असीमित ऊर्जा का एक स्रोत है। हम चाहें तब भी इन ऊर्जाओं को वैज्ञानिक रूप से मापने में सक्षम नहीं होंगे, क्योंकि भौतिक साधनों का उपयोग करके सब कुछ निर्धारित नहीं किया जा सकता। मात्र हमारा अनुभव ही मंदिरों के अंदर और बाहर की आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रमाणित कर सकते हैं। यह गहरा विज्ञान है।

क्या आप जानते हैं कि लाखों न्यूट्रॉन और कॉस्मिक किरणें हर सेकंड हमारे ग्रह से गुजरती हैं? यह न्यूट्रॉन, सितारों और सूर्य द्वारा बहुत दूर से उत्सर्जित होती हैं। वे आपको बिना बताए आपके शरीर के साथ संपर्क स्थापित कर सकती हैं। इसीलिए हम यह तो जानते हैं कि ऊर्जाएं मौजूद हैं, लेकिन हमें सिर्फ उनकी सीमित समझ है।

प्राचीन अध्यात्मवादी लोग गहन ध्यान और एकाग्रता के दौरान गहरे अंतरिक्ष से यात्रा करने वाली इन ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं और कणों का अनुभव करने में सक्षम थे, जिसे उन्होंने महसूस किया कि यह हमारे मस्तिष्क और जीवन को एक निश्चित तरीके से प्रभावित कर रहा है। यही कारण है कि उन्होंने इन रहस्यमयी ऊर्जाओं को पकड़ने के लिए विशिष्ट ज्यामिति, खगोलीय स्थितियों, मंत्रों और सामूहिक चेतना का उपयोग किया।

ये ऊर्जाएं भक्त के मानस को प्रभावित कर सकती हैं। यह उसी तरह है जैसे डार्क एनर्जी और डार्क मैटर पूरे ब्रह्मांड की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि वैज्ञानिकों को पता नहीं है कि वे क्या हैं और इसे माप नहीं सकते हैं। भारतीय मंदिरों को एक वास्तुकार कहें तो गलत नहीं होगा, जिनका निर्माण ऊर्जा को पकड़ने और ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया गया है, जो हमें ठीक कर सकते हैं। ऊर्जा को पकड़ना एक आध्यात्मिक कला है।