कोरोन वायरस ने संपूर्ण विश्व में तबाही मचाई हुई है। भारत भी इससे अछूता नहीं है और 25 मार्च से पूरा देश लॉकडाउन की पाबंदी झेलने को मजबूर है। भारतीय चिकित्सा से जुड़े हुए कर्मी, पुलिस कर्मी और कुछ अन्य कर्मियों को छोड़कर संपर्ण देश अपने घरों में बंद हैं। घरों में बंद जनता में कोई खाना बनाने की निपुणता में जुट गया है, तो कोई स्मार्ट फ़ोन का पूर्ण प्रयोग करते हुए अपने दूर-दराज के रिश्तेदारों और साथियों से विडिओ-कॉल के माध्यम से दोबारा जुड़ रहे हैं, जिनसे लंबे से नाता टूट सा गया था। कई लोग अलग-अलग पुस्तकों के अध्ययन में लगे हुए हैं। इस समय एक और अनोखी चीज जो देखने को मिल रही है, वह है वातावरण में बदलाव। हम में से अनेकों लोगों ने ऐसा नीला आकाश कभी अपने बचपन में देखा था या फिर शहरों से दूर बसे दूर गावों में। आज अनेकों लोगों का कहना है की इस बीमारी के कारण उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है।
भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है। महात्मा गांधी तथा बाबसाहब आंबेडकर जैसे महान नेताओं ने ना सिर्फ धर्म निरपेक्षता का उपदेश दिया, बल्कि यह सीख भी दी कि किसी भी तरह का भेदभाव दो व्यक्तियों के बीच उचित नहीं है। आज के माहौल में ये बातें दोहराना अति महत्वपूर्ण हो गया है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए यह अति आवश्यक भी है कि उस देश के नागरिकों के बिच में एकजुटता रहे। हम एक बार स्विट्ज़रलैंड गए थे। वहां सवेरे टहलते हुए, एक सरदारजी से मेरी मुलाकात हुई जो सफाई कार्य में व्यस्त थे। मैंने उनके साथ बातचीत छेड़ी और यह जानना चाहा कि उन्हें इस देश की कौन सी चीज सबसे अच्छी लगी? जवाब में उन्होंने कहा, “साहब इस देश के लोग अपने देश से बहुत प्यार करते हैं। इस उत्तर की गहराई को समझना अति आवश्यक है। अक्सर हम भारतीयों में ये देखा गया है कि हमने देश प्रेम के खास मौक़े चुन लिए हैं, जैसे युद्ध के समय या 15 अगस्त और 26 जनवरी का दिन, या फिर जब क्रिकेट मैच हो तब। हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि देशभक्ति एक ऐसा अहसास है जिसे प्रतिदिन महसूस करने की जरूरत है। हमारे प्रतिदिन के व्यवहार से देशप्रेम झलकना चाहिए, जैसे की कचरा न फेंकना, सड़क पे न थूकना, अपना कार्य लगन से करना या अन्य छोटी-छोटी बातें भी देशभक्ति का प्रतीक है, जिसका पालन ज्यादातर लोग करते ही नहीं।
मैं समझता हूं कि, कोई बीमारी हमको ऐसा पाठ ना दे सकी जैसा कि इस बीमारी ने दिया है। आज कोरोन वायरस से हमें एक महत्वपूर्ण सीख यह मिली है कि हम सबको जाति, धर्म, लिंग से ऊपर उठकर संपूर्ण देश की इच्छा शक्ति को एकत्रित कर इस बीमारी को हराने में जुटना होगा। मनुष्य में अगर इच्छा शक्ति हो तो वह पहाड़ भी हिला सकता है। हमें लगता है कि यह बीमारी ईश्वर की तरफ से चेतावनी है, मानव अब भी सुधर जाओ, वरना अब नहीं तो कब?
डॉ दीपक टेम्पे
(फॉर्मर डीन मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज, दिल्ली)