क्‍या नेपाल में व‍िष्‍णुजी ने ल‍िया कूर्म अवतार में जन्‍म? जानें रहस्‍य

हाल ही में नेपाल में म‍िला गोल्‍डन कछुआ सभी की आस्‍था का व‍िषय बना हुआ है। भक्‍त इसमें भगवान व‍िष्‍णु का रूप देख रहे हैं। पुराणों में कही बातों को हम सच मानें तो इस आस्‍था को न‍िराधार भी नहीं माना जा सकता है। क्‍योंक‍ि कछुए को भगवान व‍िष्‍णु का तीसरा अवतार माना जाता है। आइए इसके धार्मिक पहलू से आपको एस्‍ट्रॉलजर प्रमोद पांडेय के जर‍िए रूबरू करवाते हैं।

कछुए को लेकर कुछ ऐसी है मान्‍यता
एस्‍ट्रॉलजर बताते हैं क‍ि पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के दशावतारों में से तीसरा कूर्म यानी क‍ि कछुए का था। उन्‍होंने कूर्म का अवतार लेकर ही समुद्र मंथन में सहायता की थी। कथा म‍िलती है क‍ि एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवताओं के राजा इंद्र को शाप देकर श्रीहीन कर दिया। इंद्र जब भगवान विष्णु के पास गए तो उन्होंने समुद्र मंथन करने के लिए कहा। तब इंद्र भगवान विष्णु के कहे अनुसार दैत्यों व देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए। समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकी को नेती बनाया गया। देवताओं और दैत्यों ने अपना मतभेद भुलाकर मंदराचल को उखाड़ा और उसे समुद्र की ओर ले चले, लेकिन वे उसे अधिक दूर तक नहीं ले जा सके। तब भगवान विष्णु ने मंदराचल को समुद्र तट पर रख दिया। देवता और दैत्यों ने मंदराचल को समुद्र में डालकर नागराज वासुकी को नेती बनाया। लेक‍िन मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कूर्म का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बन गए। भगवान कूर्म की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घूमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ।

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नेपाल के इस ज‍िले में म‍िला है गोल्‍डन कछुआ
बता दें क‍ि नेपाल के धनुषा जिले के धनुषधाम नगर निगम इलाके में यह गोल्‍डन कछुआ पाया गया है। सामान्‍य कछुओं से अलग रंग होने के कारण यह आस्‍था और चर्चा का व‍िषय बना हुआ है। हालांक‍ि विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा जींस में पर‍िवर्तन होने के कारण हो सकता है। समयानुसार क्रोमैटिक ल्यूसिजम की वजह से जीव-जंतुओं के चमड़े का रंग बदल जाता है। लेक‍िन हम पुराणों में द‍िए ज‍िक्र और आस्‍था को दरक‍िनार भी नहीं कर सकते।

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पूर्व में यहां भी म‍िला था गोल्‍डन कछुआ
नेपाल से ओडिशा के बालासोर जिले में भी ऐसे ही एक दुर्लभ प्रजाति के पीले रंग के कछुए को देखा गया था। जिसे क‍ि स्थानीय लोगों ने वन विभाग के अध‍िकार‍ियों को सौंप द‍िया था। यह कछुआ साजनपुर गांव के क‍िसान वासुदेव महापात्र के खेत में म‍िला था।

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