संकलन: रेनू सैनी
डियान फोसी को बचपन से ही जानवरों से बेहद लगाव था। उनका जन्म 1932 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हुआ था। उन्होंने थेरपिस्ट की पढ़ाई की। इस दौरान डियान ने जाना कि बीमार लोगों को सामान्य जीवन जीने के लिए कैसे प्रेरित किया जाए। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह केंटुकी में एक अस्पताल में काम करने लगीं। वहां वे अशक्त बच्चों की देखभाल करती थीं। लेकिन पशुओं से उनका लगाव कम नहीं हुआ था। फॉर्म पर वह बहुत सारे जानवरों के साथ रहती थीं।
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एक बार डियान अफ्रीका की यात्रा पर गईं। वहां उन्होंने बहुत सारे पहाड़ी गुरिल्ला देखे। बस यहीं से उनका जीवन बदल गया। गुरिल्लों के जीवन में उनकी ऐसी दिलचस्पी पैदा हुई कि उन्होंने अपना जीवन इनसे जुड़े तमाम पहलुओं की खोज-बीन में लगा दिया। तीन साल बाद उन्होंने कांगो में पहाड़ी गुरिल्लों पर रिसर्च शुरू किया। इसी रिसर्च पर उन्हें कैंब्रिज से पीएचडी मिली।
जिन दिनों वे रवांडा में काम करती थीं, उन्हें लोग इस रूप में जानते थे कि वह महिला जो पर्वतों पर अकेली रहती है। गुरिल्लों के जीवन को करीब से देखते हुए वे उनके संरक्षण की जरूरत को तीव्रता से महसूस कर रही थीं। कुछ समय बाद उन्होंने एक पुस्तक ‘गुरिल्ला इन द मिस्ट’ की रचना की। यह पुस्तक पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी और इसके साथ ही डियान भी गुरिल्लों की संरक्षक के रूप में प्रसिद्ध होने लगीं।
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गुरिल्ला का सामना करते हुए एक सामान्य व्यक्ति भय से जड़ हो जाता है लेकिन डियान ने उनसे दोस्ती कायम की और उनके जीवन से जुड़े अनछुए पहलुओं को प्रकट किया। मात्र 53 वर्ष की अवस्था में 26 दिसंबर 1985 को उनकी हत्या हो गई। इस हत्या का रहस्य आज तक अनसुलझा ही है। ऐसा माना जाता है कि गुरिल्ला को बचाने की मुहिम में लगने के कारण शिकारियों ने इनकी हत्या कर दी थी।