जब एक अभिनेत्री ने किया द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आविष्कार

संकलन: रेनू सैनी
ऑस्ट्रेलियाई मूल की अमेरिकी अभिनेत्री हैडी लैमार को बचपन से ही तकनीक में गहरी रुचि थी। जब वह एक्टिंग की दुनिया में नहीं आई थीं तब भी अपना खाली समय प्राय: तकनीक से जुड़े कामों में बिताती थीं। आकर्षक व्यक्तित्व की स्वामिनी होने के कारण उन्हें हॉलिवुड से आमंत्रण मिला और वह अमेरिका चली गईं।

अमेरिका में हॉलिवुड फिल्मों में स्थापित होने के बाद भी तकनीक से उनका प्रेम कम नहीं हुआ। हैडी की फिल्मों की सफलता ने उन्हें प्रसिद्ध कर दिया था। उनकी व्यस्तता काफी बढ़ गई थी। मगर सफलता के शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी उन्हें लगता कि उनका लक्ष्य केवल फिल्मों में अभिनय करना नहीं, कुछ और करना भी है। वह खाली समय में मशीनों से किसी न किसी रूप में जुड़ी रहतीं। उनके संचालन को बेहतर बनाने के तरीकों पर सोचती रहतीं। उन दिनों द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हो चुका था। युद्ध के समय जिस रेडियो फ्रीक्वैंसी से संचालित टॉर्पीडो का इस्तेमाल नौसेना करती थी, आसानी से उसका मार्ग बदला जा सकता था। हैडी ने अपने मित्र जॉर्ज एंथील की मदद से रेडियो सिग्नल पर काम करने वाले फ्रीक्वैंसी-होपिंग स्प्रेड सिस्टम का आविष्कार किया और अपनी इस प्रणाली को उन्होंने पेटेंट करा लिया। परंतु उस समय सेना ने इस उपकरण को इस्तेमाल करने लायक नहीं माना। नौसेना अधिकारियों को लगा कि कोई अभिनेत्री भला नौसेना की युद्ध संबंधी जरूरतों को क्या समझेगी!

आगे चलकर यही तकनीक जीपीएस, वाई-फाई और ब्लू टूथ के विकास का आधार बनी। इस तरह सफल हॉलिवुड अभिनेत्री हैडी लैमार ने यह साबित कर दिया कि कोई भी काम असंभव नहीं होता। इंसान एक क्षेत्र में सफल होते हुए दूसरे में भी सफल हो सकता है। बस उसके लिए जुनून होना चाहिए। आज दुनिया हैडी लैमार को सफल अभिनेत्री के साथ-साथ एक आविष्कारक के रूप में भी याद करती है।