सब्जी वाले ने कहा: है न प्रभु, मेरा नाम भैयालाल है।
प्रभु, मैं शुरू से अनपढ़ गँवार हूँ। गॉव में मजदूरी करता था, एक बार गाँव में एक नामी सन्त की कथा हुईं कथा मेरे पल्ले नहीं पड़ी, लेकिन एक लाइन मेरे दिमाग में आकर फँस गई,
उन संत ने कहा: हर इन्सान में प्रभु का वास हैं, तलाशने की कोशिश तो करो पता नहीं किस इन्सान में मिल जाय और तुम्हारा उद्धार कर जाये, बस उस दिन से मैने हर मिलने वाले को प्रभु की नजर से देखना और पुकारना शुरू कर दिया वाकई चमत्कार होगया दुनिया के लिए शैतान आदमी भी मेरे लिये प्रभु रूप हो गया। ऐसे दिन फिरे कि मजदूर से व्यापारी हो गया सुख-समृद्धि के सारे साधन जुड़ते गये, मेरे लिये तो सारी दुनिया ही प्रभु रूप बन गईं।
लाख टके की बात! जीवन एक प्रतिध्वनि है आप जिस लहजे में आवाज देंगे पलटकर आपको उसी लहजे में सुनाईं देगी। न जाने किस रूप में मालिक मिल जाये अतः हर समय अच्छे से ही व्यवहार करना चाहिए।