तुलसी विवाह पर तुलसी माता की परिक्रमा का महत्व (Importance of Parikrama of Tulsi Mata on Tulsi Vivah)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का विशेष महत्व है। क्योंकि इस महीने में भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं।इस दिन से ही शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन तुलसी की परिक्रमा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है, लेकिन अगर आप परिक्रमा कर रहे हैं तो आपको अपने हाथ में कौन सी चीजें रखनी चाहिए जिससे लाभ हो सके। इसके बारे में जानना जरूरी है।

कैसे करें तुलसी माता की परिक्रमा
❀ तुलसी विवाह के बाद तुलसी के पेड़ की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए, लेकिन कभी भी खाली हाथ परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है।
❀ तुलसी विवाह के दिन हाथ में गेहूं लेकर परिक्रमा करनी चाहिए। इससे आपके सभी बिगड़े काम बनने लगेंगे और आपको शुभ फल भी मिलने लगेंगे।
❀ तुलसी विवाह के बाद हाथ में काले तिल (काले तिल का उपाय) लेकर परिक्रमा करें। ऐसा करने से आपको कभी कोई परेशानी नहीं होगी और सभी कार्यों में सफलता भी मिल सकती है।
❀ तुलसी मंजिरी हाथ में लेकर परिक्रमा करनी चाहिए और साथ में एक चुटकी हल्दी भी ले लेनी चाहिए। ऐसा करने से आपको जल्द ही विवाह प्रस्ताव मिल सकता है और वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां भी दूर हो सकती हैं।

तुलसी विवाह के दिन इन बातों का रखें ध्यान
❀ इस दिन विवाहित महिलाओं को तुलसी विवाह अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
❀ इस दिन पूजा के समय तुलसी को सुहाग का सामान और लाल चुनरी अवश्य चढ़ानी चाहिए।
❀ तुलसी विवाह के दिन हल्दी को दूध में भिगोकर तिलक लगाएं।
❀ इस दिन भगवान विष्णु को मिठाई का भोग लगाएं और सभी को बांटें।
❀ पूजा समाप्त करने के बाद शाम को उठने के लिए भगवान विष्णु का आह्वान करें।

तुलसी विवाह के दिन तुलसी की 108 बार परिक्रमा करें और नारायण की पूजा भी करें। ऐसा करने से आपको मनचाहा जीवनसाथी मिल सकता है और आर्थिक सुख भी प्राप्त हो सकता है।