शुभता का सूचक है त्रिशक्ति – त्रिशक्ति यंत्र में त्रिशूल, ओम और स्वास्तिक की आकृति एक साथ प्रयोग की जाती है। जहां त्रिशूल के तीन शूल जीवन में विभिन्न कष्टों को दूर करते हैं, वहीं ओम और स्वास्तिक शुभता का प्रतीक होने के कारण शुभ ऊर्जा की वृद्धि करते हैं। घर में सुख-समृद्धि हेतु त्रिशक्ति चिन्ह स्वास्तिक, ओम, त्रिशूल लगाना विशेष लाभदायक होता है। इसे घर के अंदर या बाहर आवश्यकता अनुसार लगाया जा सकता है। स्वास्तिक, ओम् एवं त्रिशूल शांति, लाभ एवं शक्ति के प्रतीक हैं। इन त्रिशक्तियों का एक साथ एक ही जगह पर उपस्थित होना अपने आप में अलौकिक, दिव्य एवं अत्यंत लाभदायक है, जिनका प्रयोग कर, हम कई मुसीबतों का मुकाबला कर सकते हैं। इन तीनों शक्तियों द्वारा वास्तु दोषों का शमन कर, घर में मंगलदायक स्थिति उत्पन्न की जा सकती है। वाहन पर त्रिशक्ति लगाने से वाहन दुर्घटना से बचाव होता है।
धातु से निर्मित इन मंगलकारी चिन्हों को कैश-बॉक्स या अलमारी में रखने से धन वृद्धि होती है। व्यक्तिगत सुरक्षा और सौभाग्य वृद्धि के लिए स्टीकर के रूप में इसे डायरी या किताब पर लगा सकते हैं। त्रिशक्ति चिन्ह को शुभता के लिए घर, कार्यालय में कहीं भी लगा सकते हैं। मुख्य द्वार पर लगाने से घर में अशुभ शक्तियां अपना प्रभाव नहीं दिखा पातीं। त्रिशक्ति चिन्ह हमारे लिए रक्षा कवच का कार्य करते हैं जो बुरी और नकारात्मक ऊर्जा को हमारे नजदीक नहीं आने देते व सकारात्मक ऊर्जा से हमारा और हमारे आस-पास का वातावरण को शुद्ध रखते हैं। इसे उपहार में देना सर्वोत्तम एवं शुभकारी होता है। घर में समृद्धि के लिए त्रिशक्ति यंत्र चिन्ह के साथ नकारात्मक उर्जा को दूर करने के लिए मोरपंख, स्फटिक का श्रीयंत्र, क्रिस्टल कछुआ, फेंगशुई में प्रचलित तीन टांग वाला मेंढक, विन्ड चाइम, बुद्धा की तस्वीर, गोमती चक्र, काले घोड़े की नाल आदि का प्रयोग किया जा सकता है जिससे घर में सकारात्मक उर्जा का संचार हो। ओम, स्वास्तिक और त्रिशूल की संयुक्त शक्ति घर में बुरी नजर लगने से रोकती है, इसलिए स्वास्तिक, ओम और त्रिशूल का मिलाजुला चिन्ह, यंत्र के रूप में घर पर लगाना बेहद लाभकारी रहता है। त्रिशक्ति चिन्ह को पंचांग देखकर अथवा किसी विद्वान से पूछकर शुभ मुहूर्त का चयन कर लगाना चाहिए। पुष्य नक्षत्र में मांगलिक चिन्ह लगाने से शुभ ऊर्जा का प्रवाह निरंतर बना रहता है। अगर किसी कारणवश शुभ मुहूर्त नहीं समझ में आ रहा और त्रिशक्ति लगाने की आवश्यकता है, तो उसे दोपहर बारह बजे के आस-पास, अभिजीत मुहूर्त में घर, कार्यालय में स्थापित किया जा सकता है।