लूसी विश्वास
वास्तु वास्तव में एक विज्ञान है, जिसमें विभिन्न दिशाओं से आने वाली ऊर्जा के प्रबंधन का काम किया जाता है। हर दिशा की अपनी खास विशेषता होती है और ये विशेषताएं उस क्षेत्र विशेष की ऊर्जा से संबंधित होती हैं। यह काफी कुछ सूरज की किरणों और धरती के गुरुत्वाकर्षण पर भी निर्भर करती हैं। ये ऊर्जाएं यह तय करती हैं कि अमुक घर के स्वामी पर किसी खास दिशा का क्या प्रभाव पड़ेगा। उदाहरण के लिए यहां उत्तर दिशा का जिक्र किया जा सकता है। उत्तर दिशा को धन की दिशा माना जाता है। लेकिन यहां यह भी बता देना आवश्यक होगा कि उत्तर दिशा को महिलाओं से जोड़कर भी देखा जाता है। इसलिए ऐसे घर में इस बात की संभावना है कि यहां महिलाओं से जुड़े ज्यादा मुद्दे हों।
वक्त बदल रहा है। जाहिर है, हमारी सामाजिक संरचनाओं में भी बदलाव हो रहा है। परिवार के सदस्यों के बीच के संबंधों को हर रोज नई परिभाषा और अर्थ मिल रहे हैं। ऐसे में हम सदियों पुरानी मान्यताओं पर ठीक उसी तरह अमल नहीं कर सकते, जिस तरह कि किसी जमाने में उन पर किया जाता होगा। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उन दिनों सामाजिक मापदंड कुछ और हुआ करते थे। आज समय की जरूरतों में भी बदलाव आ रहा है और हमें इन बातों को ध्यान में जरूर रखना चाहिए। वह ऐसा वक्त था, जब महिलाएं परिवार में कोई खास आर्थिक योगदान नहीं दिया करती थीं और आमतौर में घर पर ही रहती थीं। लेकिन आज की तारीख में महिलाएं आर्थिक मोर्चे पर काफी सक्रिय हो गई हैं और यहां तक कि कॉर्पोरेट्स का नेतृत्व भी कर रही हैं। घर पर तो वह अपने जलवे दिखा ही रही हैं, साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भी अपनी प्रभुता साबित कर रही हैं। इन दिनों महिलाएं काफी ताकतवर हो गई हैं, इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती। हर दिन वे सफलता के नए आयाम स्थापित कर रही हैं और उनसे अपेक्षाएं भी बढ़ती ही जा रही हैं। इसलिए ऐसी स्थिति में सदियों पुरानी मान्यताओं व नियमों को पुरानी शैली में ही हूबहू अमल में लाना आधुनिक काल की महिलाओं के लिए संभव नहीं होगा। हमें महिला सदस्यों के विकास पर अंकुश नहीं लगाना चाहिए। खासकर तब, जब वे परिवार की एक कमाऊ सदस्य हों।
जिन महिलाओं ने जीवन में शानदार सफलताएं हासिल की हैं और समाज में अपना एक खास रुतबा कायम किया है, उनमें से कई पुरुषों की इस दुनिया में अकेली रह रही हैं। लेकिन उनमें समाज को बदलने की क्षमता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि महिलाओं के तेजी से हो रहे विकास के पीछे कौन सी ताकत है। आखिर वह कौन सी शक्ति है, जो उन्हें पूरी दुनिया को अकेले ही फेस करने की हिम्मत दे रही है।
यहां पर किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में मीडिया मैनेजर के तौर पर काम कर रही एक महिला का जिक्र किया जा सकता है। उनके घर में प्रवेश करते ही जो बात अचानक ध्यान खींचती है, वह है उनके घर का प्रवेश द्वार, जो कि दक्षिण-पूर्व दिशा में है। वास्तु के सिद्धांतों के मुताबिक दक्षिण-पूर्व दिशा को महिला के सशक्तिकरण से जोड़ कर देखा जाता है। मतलब यह कि यदि किसी घर का प्रवेश द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में है, तो उस घर की महिलाएं ताकतवर होंगी। लेकिन क्या सिर्फ प्रवेश द्वार ही किसी महिला को इतनी ताकत दे सकता है। इस बात की तह तक जाने के लिए हमने कई शक्तिशाली व प्रभावशाली महिलाओं के घरों का सर्वे किया। हम शिक्षकों, संत की तरह व्यवहार करने वाली महिलाओं, राजनीतिज्ञों, वकीलों और सर्विस क्लास से जुड़ी महिलाओं के घर गए। परिणाम के तौर पर जो सामने आया, उससे साफ था कि सदियों पुराने वास्तु के सिद्धांत सही हैं। इन तमाम घरों में दो बातें एक समान थीं। एक तो यह कि इनके प्रवेश द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में थे और दूसरा, उनके बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में थे। इन दोनों का कॉम्बिनेशन इन सफल महिलाओं को पूरी दुनिया के सामने डट कर खड़े रहने की ताकत देता है।
वैसे, पारंपरिक तौर पर दक्षिण-पूर्व में प्रवेश द्वार वाले घरों को नकारात्मक और अशुभ माना जाता रहा है। लेकिन बदलते सामाजिक दौर में, जहां महिलाओं की भी अपनी अलग पहचान है, दक्षिण-पूर्व प्रवेश द्वार वाले घरों की अहमियत बढ़ने लगी है। यही नहीं, दक्षिण-पूर्व प्रवेश द्वार वाले घर सकारात्मक परिणाम भी दे रहे हैं। अगर हम किरण बेदी, शीला दीक्षित, प्रतिभा पाटिल जैसी और महिलाएं चाहते हैं, तो हमें आंख मूंदकर दक्षिण-पूर्व प्रवेश द्वार वाले घरों को नकारात्मक नजरिए से देखना बंद करना होगा।