दरिया पार करने वाले इस इंसान को इसलिए नहीं लगा डर

फ्रांस के सेंट आमेर प्रांत में सन 1826 में जन्मे जीन ब्लॉन्डिन को अद्भुत एवं साहसी कलाकार माना जाता था। अपने साहसिक करतबों की वजह से आज भी करतबबाजों की दुनिया में उनका नाम आदर से लिया जाता है। एक बार जब वह अमेरिका के प्रवास पर थे तो वहां उन्होंने न्यागरा का जल प्रपात देखा। यह प्रपात अमेरिका और कनाडा के बीच मध्य रेखा का काम करता है। यह 360 मीटर चौड़ा है।

उसे देखकर जीन ब्लॉन्डिन ने घोषणा की कि वह न्यागरा जल प्रपात के दोनों सिरों पर रस्सा बांधकर उसे पार करेंगे। जब लोगों ने उनकी यह घोषणा सुनी तो किसी को विश्वास नहीं हुआ, पर जीन ने निश्चित तिथि को रस्सा ऐसे पार कर दिखाया जैसे कोई दीवार पर चल रहा हो। कनाडा वाले सिरे पर पहुंच कर उन्होंने पुनः उसी रास्ते अमेरिका जाने की घोषणा कर दी। इस बार उन्होंने अपने साथ कैमरा ले लिया था जिससे कि न्यागरा के सुंदर प्राकृतिक दृश्य का चित्र बीच से लिया जा सके।

तीसरी बार उन्होंने अपने लड़के को कंधे पर बिठाए हुए न्यागरा जल-प्रपात रस्से पर चढ़कर पार किया। अंतिम बार ब्लॉन्डिन ने किसी अन्य व्यक्ति को कंधे पर बैठाकर न्यागरा पार करने की बात कही। पहले तो कोई भी व्यक्ति इस जोखिम भरे कार्य के लिए तैयार नहीं हो रहा था। बाद में एक साहसी व्यक्ति तैयार भी हुआ तो न्यागरा पार करने के बाद जब जीन ने उसे कंधे से उतारा तो वह व्यक्ति बेहोश पाया गया।

चिकित्सकों ने जांच के उपरांत बताया कि यह व्यक्ति भय के कारण बेहोश हो गया है। स्वाभाविक ही सबका ध्यान ब्लॉन्डिन के पुत्र की ओर गया जिसने इससे पूर्व अपने पिता के कंधे पर चढ़कर प्रपात को पार किया था। उससे लोगों ने पूछा कि तुम्हें भय क्यों नहीं लगा? उसने शांत स्वर में बताया, ‘मुझे अपने पिता की कुशलता पर पूरा विश्वास था।’