भक्तों का बारम्बार हो,
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।तुम कण कण में बसे हुए हो,
तुझ में जगत समाया है ।
तिनका हो चाहे पर्वत हो,
सभी तुम्हारी माया है ।
तुम दुनिया के हर प्राणी के,
जीवन के आधार हो ।
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
सबके सच्चे पिता तुम्ही हो,
तुम्ही जगत की माता हो ।
भाई बंधू सखा सहायक,
रक्षक पोषक दाता हो ।
चींटी से लेकर हाथी तक,
सबके सिरजनहार हो ।
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
ऋषि मुनि योगी जन सब,
तुमसे ही वर पाते हैं ।
क्या राजा क्या रंक तुम्हारे,
दर पर शीश झुकाते हैं ।
परम कृपालु परम दयालु,
करुणा के आधार हो ।
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
तूफानों से घिरे पथिक प्रभु,
तुम ही एक सहारा हो ।
डगमग डगमग नैया डोले,
तुम ही नाथ किनारा हो ।
तुम केवट हो इस नैया के,
और तुम ही पतवार हो ।
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
– आर्य समाज भजन