परशुराम जयंती: आज भी जीवित हैं भगवान परशुराम, यहां है उनका फरसा

भगवान परशुराम उन 7 अमर देवों में एक हैं, जिनके बारे में मान्यता है कि वह अभी भी धरती पर निवास करते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार, पिता की आज्ञा मानते हुए परशुराम ने अपनी माता की हत्या कर दी थी। परंतु आज्ञा मानने से प्रसन्न हुए पिता ने जब परशुराम से वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने माता को पुन: जीवित करने का वर मांग लिया। जहां परशुराम जी ने अपनी माता का वध किया और जहां इस वध के पाप से मुक्ति पाई आज वह दोनों ही जगहें राजस्थान में स्थित हैं। साथ ही झारखंड के टांगीधाम में साक्षात परशुराम के फरसे के दर्शन किए जा सकते हैं…

मातृकुण्डिया

राजस्थान के चितौड़ जिले में स्तिथ है मातृकुण्डिया। यही वह जगह है जहां भगवान परशुराम अपनी मां की हत्या के पाप से मुक्त हुए थे। यहां पर उन्होंने शिव जी की तपस्या की थी और फिर शिवजी के कहे अनुसार मातृकुण्डिया के जल में स्नान करने से उनका पाप धुल गया था। इस जगह को मेवाड़ का हरिद्वार भी कहा जाता है। यह स्थान महर्षि जमदग्निनी की तपोभूमि से लगभग 80 किलो मीटर दूर स्थित है।

अजब-गजब कहानियांः इसलिए अपनी माता का वध किया था भगवान परशुराम ने

परशुराम महदेव गुफा मंदिर
मातृकुण्डिया से कुछ मील की दूरी पर ही परशुराम महादेव मंदिर स्थित है। मान्यता है कि इसका निर्माण स्वयं भगवान परशुराम ने पहाड़ी काटकर किया था। इस पहाड़ी को उन्होंने भगवान शिव से प्राप्त फरसे से काटा था। परशुराम महादेव गुफा को मेवाड़ का अमरनाथ भी कहा जाता हैं।

यहां रखा है परशुराम का फरसा
मान्यता है कि भगवान परशुराम का फरसा झारखंड राज्य के टांगीनाथ धाम में गड़ा हुआ है। किसी को भी इसकी ठीक-ठीक लंबाई का अंदाजा नहीं है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक कहा जाता है कि यह 17 फीट गहाई तक गड़ा है। झारखंड की स्थानीय भाषा में फरसे को टांगी कहा जाता है। इसलिए इस जगह का नाम टांगीधाम पड़ा है। टांगी धाम रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि शिव आराधना के लिए परशुराम यहां आए थे और तपस्या के दौरान ही उन्होंने इस फरसे को यहां गाड़ दिया था।