मुसलमानों ने सौंपी जमीन, मंदिर भी बनाया
पिछले साल से बन रहे इस मंदिर को स्थानीय लोकल मुसलमानों ने बनाकर तैयार किया है। मंदिर निर्माण कंस्ट्रक्शन कमिटी में 3 लोकल मुस्लिम एजाज खान, रिटायर्ड कैप्टन इलियास, इफ्तिखार, एक सिख जोगिंदर सिंह और पांच कश्मीरी पंडित हैं। चूंकि बंटवारे से पहले अभिलेखों में यह हिंदू मंदिर लैंड दर्ज थी, इसलिए मुसलमानों ने मंदिर के लिए यह जमीन सौंपी थी। मंदिर के काम में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये लगे हैं।
POK से आई है नींव की शिला
मंदिर के लिए कर्नाटक राज्य के शृंगेरी पीठ के जगदगुरु को POK स्थित पीठ से लाई शिला और मिट्टी सौंपी गई थी। जगदगुरू ने मंत्रोच्चारण के बाद वह शिला उन्हें वापस दी। इस शिला को मंदिर की नींव में स्थापित किया गया था। अब शृंगेरी पीठ ने नवरात्र के अवसर पर देवी शारदा की पंचधातु की मूर्ति को सौंपने के लिए बुलाया लोगों को बुलाया है। पिछले साल 2 दिसंबर को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच टिटवाला का मंदिर का नींव पूजन किया गया था। टिटवाल किशनगंगा (नीलम) नदी के किनारे पर है और बंटवारे से पूर्व यहीं से शारदा पीठ के लिए यात्रा शुरू होती थी। इसमें श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए व्यवस्था रहती थी। अब शारदा पीठ POK में है और देखरेख के अभाव में वह खंडहर हो चुका है।
मंदिर बनने से तेज होगी कॉरिडोर की मांग
कश्मीरी हिंदुओं के अलावा कई संगठन वर्षों से भारत-पाकिस्तान सरकार से POK में स्थित देवी शारदा पीठ की यात्रा को बहाल करने के कॉरिडोर बनाने की मांग करते रहे हैं। फिलहाल शारदा बेस कैंप पर मंदिर निर्माण को इस दिशा में अहम माना जा रहा है। टिटवाला में खड़े होकर नीलम नदी के पार POK में पहाड़ी पर स्थित देवी शारदा के प्राचीन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।