गर्ट्रूड स्टाइन की जिज्ञासा और उसकी बातों से वह इतने प्रभावित हुए कि उसी समय एक शानदार पेंटिंग बनाई और भेंट में दे दी। धीरे-धीरे गर्ट्रूड और पिकासो अच्छे दोस्त बन गए। बाद में जब पिकासो काफी प्रसिद्ध हो गए तो एक अमेरिकी कला संग्रहकर्ता अल्बर्ट बान ने गर्ट्रूड से पूछा कि पेंटिंग बनवाने के लिए उसने पिकासो को कितनी रकम अदा की। गर्ट्रूड ने कहा, ‘कुछ नहीं, वह पेंटिंग तो पिकासो ने मुझे उपहार में दी है।’ अल्बर्ट को यकीन नहीं हुआ। पर पेंटिंग पर न केवल पिकासो के हस्ताक्षर थे बल्कि उनके लिखे हुए संदेश भी उस पर अंकित थे।
अल्बर्ट ने उस पेंटिंग को खरीदना चाहा। मगर गर्ट्रूड ने बेचने से इनकार कर दिया, जबकि उस पेंटिंग के बदले में उसे लाखों डॉलर मिल सकते थे। बाद में एक दिन गर्ट्रूड ने पिकासो को इस बारे में बताया। पिकासो ने मंद-मंद मुस्कुराते हुए कहा, ‘वह नहीं समझ पाएगा कि उन दिनों बिक्री और उपहार में बहुत मामूली फर्क हुआ करता था। तब श्रद्धा और प्रेम का ज्यादा महत्व था और उपहार देने वाले की श्रद्धा लेने वाले के प्रति भी खरीदने वाले से कहीं कम न होती थी।’ गर्ट्रूड ने जोड़ा, ‘कुछ चित्र अनमोल होते हैं लेकिन उन्हें उपहार में दिया जाए तो उसका मोल और बढ़ जाता है।’
संकलन : दीनदयाल मुरारका